
सवाई माधोपुर की एक सहकारी समिति में खाद के लिए जुटे किसान (फाइल फोटो)
रमेश शर्मा
अजमेर
केन्द्र सरकार का अब 'सहकारिता के जरिये स्मार्ट कृषि' पर जोर देगी। सरकार ने सहकारी समितियों को एक सफल व्यावसायिक उद्यम में बदलने के लिए ही पिछले वर्ष नया सहकारिता मंत्रालय बनाया है। अब यह मंत्रालय देश भर में फैली करीब एक लाख प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी) के आधुनिकीकरण, डिजिटलीकरण के साथ सहकारी समितियों के राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने पर काम कर रहा है। इस बार पहली बार इसके लिए बजट का प्रावधान रखा गया है। बजट 2022-23 में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के लिए 350 करोड़ रुपए के बजट का प्रस्ताव रखा गया है।
समाज के कमजोर वर्गों के शोषण को रोकने और उनके सामाजिक आर्थिक विकास में सहकारिता का अच्छा योगदान माना जाता है। इसीलिए सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल बहुत प्रासंगिक माना गया है। सामाजिक-आर्थिक ढांचे की रीढ़ होने से इस मॉडल के माध्यम से खाद्य, पोषण तथा अर्थव्यवस्था में भी आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है। इसीलिए अब सरकार 'सहकारिता से स्मार्ट कृषि' पर जोर दे रही है। अब सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के बाद बैंकिंग प्रक्रियाओं को सुगम बनाया जाएगा। इससे कृषि ऋण का लाभ जरुरतमंदों तक पहुंच रहा है या नहीं यह सुनिश्चित किया जा सकेगा और अंकेक्षण भी हो सकेगा।
कैसे करेंगे काम
प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए किसानों के लिए अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, जमीनी स्तर पर ऋण प्रवाह को सुगम करने के लिए सहकारिता क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट का निर्माण, सहकारिता क्षेत्र में ब्रांडिंग, मार्केटिंग को मजबूत करना, उत्पादों में विविधता के साथ स्टार्ट-अप और आधुनिक से नवाचार करना। इसके लिए सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी ‘व्यापार सुगमता’ को आसान बनाएगा। साथ ही मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव्ज (एमएससीएस) के विकास को सक्षम करने के लिए काम करेगा।
बजट में प्रस्ताव
900 करोड़ रूपए बजट का आवंटन
350 करोड़ रुपए प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के लिए
वैकल्पिक कर 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी की घोषणा
1 से 10 करोड़ रुपए के बीच आय वाली सहकारी समितियों पर एफपीओ की तर्ज पर अधिभार 12 फीसदी से घटाकर 7फीसदी की घोषणा
यों खुलेंगे सहकारिता से समृद्धि के द्वार
- प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों का डिजिटलीकरण
- सहकारी समितियों के राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना
- सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण
- सहकारी ऋण गारंटी निधि
- सहकारिता से समृद्धि योजना
- राष्ट्रीय सहकार नीति बनाना
इनका कहना है...
प्राथमिक कृषि सहकारिता समितियों के कंप्यूटराइजेशन का कार्य पूरा हो गया है। डेटाबेस तैयार करने सहित अन्य कार्य की प्रक्रिया के प्रयास जारी है।
केदार लाल मीणा,
एमडी, सहकारिता समिति सवाईमाधोपुर।
Published on:
02 Mar 2022 06:00 am
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