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32 लाख सालाना का पैकेज छोड़ सॉफ्टवेयर इंजीनियर हर्षाली ने वैराग्य पथ पर बढ़ाए कदम, 3 दिसंबर को ग्रहण करेगी दीक्षा

चातुर्मास के दौरान गुरुदेव के प्रवचन सुनकर हर्षाली को संसार की असारता का बोध हुआ और धीरे धीरे वह आत्म चिंतन में लीन रहते हुए वैराग्य पथ की ओर अग्रसर हो गई। उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला करते हुए शील व्रत अंगीकार कर लिया।

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सकल जैन समाज द्वारा बुधवार को शहर में शोभायात्रा एवं अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया जाएगा। समारोह में आगामी 3 दिसंबर को जैन आचार्य रामलाल एवं उपाध्याय राजेश मुनि के पावन सानिध्य में जैन भागवती दीक्षा ग्रहण कर रही केकड़ी के सोनी परिवार की भांजी मुमुक्षु हर्षाली कोठारी, ब्यावर का गोद भराई एवं अन्य सामाजिक रस्मों द्वारा बहुमान किया जाएगा।

स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के मंत्री एवं हर्षाली के मामा रिखबचन्द सोनी ने बताया कि इस अवसर पर साध्वी सौम्यप्रभा श्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 के पावन सानिध्य में घंटाघर से शोभायात्रा निकाली जाएगी। जो अजमेरी गेट, अस्पताल रोड, खिड़की गेट, सदर बाजार, घण्टाघर, लक्ष्मीनाथ मंदिर होते हुए देवगांव गेट गौशाला पहुंचकर धर्मसभा एवं अभिनन्दन समारोह में परिवर्तित हो जाएगी। यहां जैन समाज की ओर से हर्षाली का सार्वजनिक अभिनन्दन किया जाएगा।

चातुर्मास के दौरान जागा वैराग्य भाव

ब्यावर निवासी मुमुक्षु हर्षाली कोठारी के जीवन की दिशा आगामी 20 दिनों बाद बदल जाएगी। वे 3 दिसम्बर को भागवती दीक्षा ग्रहण कर साध्वी जीवन अंगीकार करेगी। ब्यावर निवासी उषा-अशोक कोठारी की पुत्री 29 वर्ष की अल्प आयु में सांसारिक मोहमाया के भंवरजाल से निकल कर संयम पथ ग्रहण करेंगी।

हर्षाली उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्य कर रही थी। वर्ष 2021 में जैन आचार्य रामलाल का ब्यावर में चातुर्मास हुआ। इस दौरान हर्षाली कोरोना के चलते वर्क फ्रॉम होम के जरिए अपना काम कर रही थी। चातुर्मास के दौरान गुरुदेव के प्रवचन सुनकर हर्षाली को संसार की असारता का बोध हुआ और धीरे धीरे वह आत्म चिंतन में लीन रहते हुए वैराग्य पथ की ओर अग्रसर हो गई। उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला करते हुए शील व्रत अंगीकार कर लिया।

गत 23 मार्च 2023 को हर्षाली ने अपने जॉब से रिजाइन कर दिया और वैराग्य पथ की ओर कदम बढ़ा दिए। हर्षाली ने जिस समय जॉब छोड़ा उस समय उनका सालाना पैकेज 32 लाख रुपए था। वैराग्य की प्रबल भावना को देखते हुए गुरुदेव ने गत 22 अगस्त 2024 को भीलवाड़ा में आज्ञा पत्र प्रदान कर दिया। बातचीत में हर्षाली ने बताया कि उनकी प्रबल भावना आईएएस अधिकारी बनने की थी, लेकिन वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गई।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना उनकी मंजिल नहीं थी। दुर्लभ मानव जीवन में पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण उन्हें संयम पथ पर आरूढ़ होने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह उनके लिए गौरव का क्षण है, कि वे जैन भागवती दीक्षा अंगीकार कर साध्वी बनने जा रही है।