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teachers day special : जो खुद किसी समय कर रहे थे यहां से डॉक्टर बनने की तैयारी आज उन्होंने बना दिया हजारों स्टूडेंट्स को डॉक्टर

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story of a senior doctors who their successful career

जो खुद किसी समय कर रहे थे यहां से डॉक्टर बनने की तैयारी आज उन्होंने बना दिया हजारों स्टूडेंट्स को डॉक्टर


अजमेर. एक शिक्षक एवं मार्गदर्शक के लिए तब और खास हो जाता है जब वे अपनी पढ़ाई करने वाले संस्थान में ही शिक्षक लेक्चरर बन जाए और फिर प्रशासनिक पद पर प्रिंसीपल बन जाए। अजमेर शहर के तीन ऐसे प्रमुख चिकित्सक हैं जो यहीं मेडिकल कॉलेज में पढकऱ डॉक्टर बने, लेक्चरर और बाद में प्रिंसीपल बने।

जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने अजमेर ही नहीं प्रदेश एवं देश-विदेश को हजारों चिकित्सक दिए हैं। यहां पढ़ाई करने वाले चिकित्सक विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में अपनी पहचान कायम किए हुए हैं। खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले अजमेर एवं जिले के तीन चिकित्सकों ने कॉलेज के प्रिंसीपल पद पर भी कार्य किया है।

इनमें से एक वर्तमान में प्रिंसीपल हैं। इन शिक्षकों ने इस संस्थान की कमियों को भी बारीकी से देखा है तो चिकित्सक बनने के दौरान किन किन चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार होना है इन्हें भी महसूस किया। साथ ही एक स्पेशलिस्ट चिकित्सक को किस तरह का माहौल देना है, क्या उपकरण संसाधन उपलब्ध कराने है उसे बारीकी से महसूस किया है।

संभाला प्रिंसीपल का पदभार भी

मेडिकल कॉलेज के पहले बैच 1965 में एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले डॉ. एस.आर. मित्तल हैं जो बाद में मेडिकल कॉलेज में शिक्षक/लेक्चरर बने और 3 मई 2005 से 30 जून 2008 तक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल रहे। वहीं 1973 में नवें बैच में एमबीबीएस करने वाले डॉ. पी.के. सारस्वत यहीं शिक्षक/ लेक्चरर बने और बाद में 13 जुलाई 2012 से 31 दिसम्बर 2013 तक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल बने। वर्तमान प्रिंसीपल डॉ. आर.के. गोखरू ने 10 वें वैच में 1974 में एमबीबीएस में प्रवेश लिया। 1983 में एमडी भी यहीं से किया। वे यहीं शिक्षक/लेक्चरर रहे और 3 जनवरी 2017 से वर्तमान में प्रिंसीपल के पद पर कार्यरत हैं। अब तक मेडिकल कॉलेज में 22 प्रिंसीपल ने सेवाएं दीं है।

जो कमियां महसूस की अब उन पर फोकस

अपनी पढ़ाई के दौरान, पढ़ाते समय विद्यार्थी एवं शिक्षक/लेक्चरर के लिए जो कमियां महसूस की गई उन्हीं पर अब फोकस रखते हुए सुधार किया जा रहा है। डॉ. गोखरू के अनुसार पहले 100 सीट, फिर 150 और अब 250 सीट का कॉलेज हो रहा है। अजमेर मेडिकल कॉलेज के शोध कार्यों का जर्नल चालू किया गया है। राष्ट्रीय एवं अन्तररराष्ट्रीय स्तर पर जर्नल भी प्रकाशित हो रहे हैं। उपकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी कॉलेज में काम हुआ है।