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Student union: चुनाव दूर, छात्रनेता लगाने लगे पोस्टर-बैनर

locationअजमेरPublished: Jul 16, 2019 09:28:16 am

Submitted by:

raktim tiwari

Student union: विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार, सडक़ के पास चाय की थडिय़ां और अन्य इलाकों में पोस्टर-बैनर लगे हुए हैं। इनमें चुनाव लडऩे वाले छात्र और अन्य विद्यार्थी शामिल हैं।

student union election 2019

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अजमेर

छात्रसंघ चुनाव (student union election) भले ही दूर हो पर महर्षि दयानंद सरस्वती के प्रवेश द्वार और आसपास के इलाकों में पोस्टर-बैनर लगने शुरू हो गए हैं। पाबंदी के बावजूद विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन (district administration )मूक दर्शक बने हुए हैं।
कॉलेज और विश्वविद्यालय में अगस्त में छात्रसंघ (cahtr sangh chunav)चुनाव होने हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुक कई भावी छात्र नेताओं (student leaders) की संस्थाओं में सक्रियता बढ़ गई है। कहीं धरना-प्रदर्शन तो कहीं जूनियर विद्यार्थियों से मेल-मिलाप किया जा रहा है। इसके अलावा छात्रनेताओं ने बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर लगा दिए हैं। विश्वविद्यालय (mds university) के मुख्य द्वार, सडक़ के पास चाय की थडिय़ां और अन्य इलाकों में पोस्टर-बैनर लगे हुए हैं। इनमें चुनाव लडऩे वाले छात्र और अन्य विद्यार्थी शामिल हैं।
प्रशासन को नहीं आते नजर…
जे.एम. लिंगदोह समिति ने छात्रसंघ चुनाव की आदर्श आचार संहिता और नियम तैयार किए थे। इसकी सिफारिशों के अनुरूप प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराए जाते हैं। समिति के नियमानुसार छात्र अथवा छात्र संगठन विश्वविद्यालय, कॉलेज के आसपास और शहर में कहीं पोस्टर-बैनर नहीं लगा सकते हैं। पोस्टर (poster)-बैनर (banner), दीवारों पर नारों की वीडियोग्राफी भी कराई जाती है। यह सब जानने के बावजूद संस्थान और जिला प्रशासन तमाशबीन बने हुए हैं।
पिछली बार सख्त हुए थे कुलपति

बीते साल कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली ने छात्रों के पोस्टर-बैनर लगाने और परिसर का क्षेत्र गंदा करने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने छात्रों को तत्काल पोस्टर बैनर नहीं हटाने पर संबंधित छात्र या उसके संगठन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही थी।
नहीं बन सकी पुलिस चौकी…..
विश्वविद्यालय में आए दिन धरना-प्रदर्शन और छात्रों में परस्पर साथ मारपीट-विवादों को देखते हुए पूर्व कुलपति श्रीमाली ने परिसर में अस्थाई पुलिस चौकी (police chowky) स्थापित कराने की बात कही थी। इसके लिए आई.जी (I.G Ajmer) और पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा जाना था। दुर्भाग्य से प्रो. श्रीमाली का निधन हो गया। तबसे यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।

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