छात्रों की नाराजगी के डर से मुख्य चुनाव अधिकारी सहित समितियां छात्र-छात्राओं को मनमानी की छूट देती दिख रही हैँ।
कॉलेज और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय लिंगदोह समिति की सिफारिशों को 'हल्केÓ में ले रही हैं। नामांकन सहित विद्यार्थियों की गतिविधियों की वीडियोग्राफी कराने के बावजूद संस्थाओं ने किसी छात्र अथवा संगठन को नोटिस जारी नहीं किया है। छात्रों की नाराजगी के डर से मुख्य चुनाव अधिकारी सहित समितियां छात्र-छात्राओं को मनमानी की छूट देती दिख रही हैँ।
२३ अगस्त को नामांकन के दौरान छात्र-छात्राओं और प्रत्याशियों ने राजकीय कन्या महाविद्यालय, दयानंद कॉलेज, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय कॉलेज और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय परिसर और सड़कों पर जमकर पेम्पलेट उड़ाए। इसके अलावा विद्यार्थियों को खुलेआ विजिटिंग कार्ड बांटे। लेकिन संस्थाओं को लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघ नजर नहीं आया है।
केवल दिखावटी वीडियोग्राफी
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में वीडियोग्राफी निरीक्षण, निगरानी और नियंत्रकसमिति बनाई गई है। इन समितियों को पोस्टर, बैनर होर्डिंग और पेम्पलेट पड़ाने पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी गई। समितियों ने वीडियोग्राफी तो कराई पर किसी प्रत्याशी अथवा संगठन को नोटिस नहीं दिया। उल्टे परिसर में झाड़ू से सफाई करा दी गई। राजकीय कन्या महाविद्यालय प्रशासन ने तो परिसर के बाहर झांकना मुनासिब नहीं समझा। सड़क पर हजारों पेम्पलेट उड़ाए गए पर यहां किसी समिति ने कार्रवाई नहीं की। एसपीसी-जीसीए और दयानंद कॉलेज के बाहर भी यही हाल दिखा। वीडियोग्राफी केवल दिखावटी की गई है।
प्रशासन और पुलिस भी मौन
पुलिस और जिला प्रशासन और पुलिस भी छात्रसंघ चुनाव में मूक दर्शक बनी हुई है। लिंगदोह समिति की सिफारिशों में साफ किया गया है, छात्रसंगठन अथवा प्रत्याशी/कार्यकर्ता शहर में कहीं नारे लिखने, पेम्पलेट लगाने/उड़ाने, होर्डिंग-कट आउट नहीं लगा सकते। परिसरों में इसे रोकने की जिम्मेदारी कॉलेज-यूनिवर्सिटी अैार शहर में नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की होगी। इसके बावजूद प्रशासन ने छात्र संगठनों-प्रत्याशियों को नोटिस जारी नहीं किए हैं।
युवााओं की नाराजगी का भय
ज्यादातर संस्थाओं, प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को कड़ी कार्रवाई पर युवाओं की नाराजगी का भय है। इसके चलते नोटिस या जुर्माना लगाने की कार्रवाई नहीं हो रही। अनुशासन और निगरानी समितियां, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का दायरा समझाइश तक सिमटा है।
किसी भी छात्र संगठन अथवा प्रत्याशी को नोटिस नहीं दिया है। ऐसी कोई शिकायत मिली और मामला गंभीर हुआ तो कार्रवाई जरूर करेंगे।
प्रो. प्रवीण माथुर, डीन छात्र कल्याण एमडीएस विश्वविद्यालय