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success story…IAS अधिकारी से जानिए हिंदी मीडियम में कैसे बने UPSC टॉपर

locationअजमेरPublished: Jun 30, 2019 02:54:53 am

एडीए कमिश्नर निशांत जैन ने बताए सफलता के मंत्र
 

success story ... how to become a medium in Hindi UPSC topper

success story…IAS अधिकारी से जानिए हिंदी मीडियम में कैसे बने UPSC टॉपर

युगलेश शर्मा.

अजमेर. प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ वे एक बहुत अच्छे ब्लॉगर भी हैं। आज कई युवा उनका ब्लॉग पढ़कर सिविल सेवा में सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। उनकी एक खूबी और भी है, वह ये कि वे पुस्तकें और कविता लिखने में भी काफी माहिर हैं। हालांकि उनकी छवि सख्त अधिकारी की है लेकिन उनके अंदर एक संवेदनशील और साहित्यिक दिल भी धड़क रहा है।
हम बात कर रहे हैं अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त IAS अधिकारी निशांत जैन की। जैन ने हिन्दी माध्यम से पढ़ाई कर UPSC में ऑल इंडिया 13वीं रैंक हासिल की थीं जबकि हिंदी माध्यम में वे पहले स्थान पर रहे। जैन ने पत्रिका से खास बातचीत में जीवन के कुछ ऐसे ही अनछुए पहलुओं को उजागर किया। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
पत्रिका : जीवन में क्या स्ट्रगल आए?

जैन : बहुत ज्यादा कठिनाइयां नहीं आई। हालांकि हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ स्ट्रगल होते हैं। मुझे मेरठ से दिल्ली पहुंचने में काफी समय लग गया। मैं एमफिल के बहाने ही दिल्ली जा पाया और IAS का EXAM क्लियर किया।

आईएएस की प्रेरणा कहां से मिली?

IAS बनना बचपन से ही सपना रहा है। आठवीं-नवीं की पढ़ाई कर रहा था, तब मेरठ के डीएम हुआ करते थे अवनीश अवस्थी। उनके कामों को देख कर काफी प्रेरणा मिली। सिस्टम को सुधारने के लिए उन्होंने बहुत अच्छा काम किया था। बारहवीं के बाद आईएएस बनने की इच्छा प्रबल हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय में एमफिल किया और एमफिल खत्म करने के बाद ही यूपीएससी का फार्म भर दिया।

लोकसभा सचिवालय में भी आपका चयन हुआ था?

पहली बार आईएएस की प्रारम्भिक परीक्षा में मैं विफल रहा था। उस दौरान ही मैंने लोकसभा सचिवालय में अनुवादक पद की परीक्षा भी दी थी। उसमें मेरा चयन हो गया। मैं लोकसभा सचिवालय के राजभाषा प्रभाग में करीब दो साल रहा। इस दौरान आईएएस की भी तैयारी की और मेहनत रंग लाई।
खास शौक क्या हैं?

किताबें पढऩे के साथ-साथ मॉर्निंग व इवनिंग वॉक नियमित करता हूं। समय मिलने पर ब्लॉग लिखता हूं। यह ब्लॉग मोटिवेशनल होते हैं, कभी कभी कोई फिल्म की समीक्षा भी कर देता हूं तो कभी कभी कविता भी लिखता हूं। हालांकि ज्यादातर ब्लॉग मैंने यूपीएससी की तैयारी के लिए लिखे हैं। इसके अलावा साइकिलिंग, फिल्म देखना और बैडमिंटन खेलने को भी शौक रहा है।

पसंदीदा पुस्तक कौनसी है?

प्रेमचंद की कहानिया पसंद करता हूं। पुस्तक आषाढ़ का एक दिन और अलकेमिस्ट बेहद पसंद आई।

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पसंदीदा फिल्म और धारावाहिक?
टीवी तो देखे हुए मुझे 15 साल हो गए। मैंं धारावाहिक की बजाय फिल्म देखना ज्यादा पसंद करता हूं क्योंकि उससे कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। आयुषमान खुराना, शाहिद कपूर और भूमि पेडनेकर का अभिनय काफी पसंद आता है।
आपकी छवि सख्त अधिकारी की है?

मेरा मानना है कि काम में अनुशासन बहुत जरूरी है। काम चोरी नहीं होनी चाहिए। समय पर कार्यालय पहुंचना चाहिए और अपना काम मन लगा कर करना चाहिए।

सपना क्या है?

नई चीज सीखना ही सपना है। मेरा मानना है कि जिस दिन नई चीजें सीखना बंद कर दोगे, उस दिन मरना शुरू कर दोगो। इसलिए जीवन में कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। चाहे किसी से भी सीखने को मिले।
अजमेर में क्या अच्छा लगा?

अजमेर बहुत अच्छा शहर है। यहां से कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। टूूरिज्म का बहुत ज्यादा स्कॉप है। इसे अद्भुत अजमेर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

आईएएस बनने के बाद गर्व के श्रण?
प्रशिक्षण काल में ही अलवर के राजगढ़ में मुझे 24 जनवरी 2017 को एसडीएम का चार्ज मिला और दो दिन बाद ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में झंडारोहण का मौका मिल गया। यह मेरे लिए गर्व की बात थी। इसी तरह राजगढ़ में ही शुक्रवार को जानकारी मिली कि एक रोड चौड़ा किया जाना है, उसमें कई मकान टूटेंगे। मैं शनिवार को मौके पर गया और मामला समझा तो स्थिति साफ हो गई। सड़क की चौड़ाई रिकॉर्ड के अनुसार सही थी और मकान अतिक्रमण की परिभाषा में नहीं आ रहे थे। इस पर कार्रवाई टालने का निर्णय किया गया। कई लोगों के मकान टूटने से बच गए।
युवाओं के लिए कोई टिप्स?

युवाओं के लिए मैं कहना चाहूंगा कि कोई भी चीज अंतिम नहीं है। जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए। चलते रहने का नाम ही जिंदगी है। जहां रहो, अपना शत प्रतिशत दो, सफलता जरूर मिलेगी।
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यह पुस्तकें रही खास

एडीए आयुक्त निशांत जैन की ‘पुस्तक’ ‘मुझे बनना है यूपीएससी टॉपर’ बेस्टसेलर रही हैं। वहीं उनकी लिखी पुस्तक ‘राजभाषा के रूप में हिंदी’ काफी पसंद की गई। इतना ही नहीं बच्चों के लिए लिखा गया कविता संग्रह ‘शादी बंदर मामा की’ भी काफी रुचिकर है। जैन का मानना है कि कविता लिखने का कोई समय तय नहीं होता। आदमी जब बहुत ज्यादा तनाव में होता है, तब भी कविता लिखी जा सकती है। उन्होंने स्वयं ने कविता ‘मैं शहर हूं’ उस वक्त लिखी जब एक बार आईएएस-प्री में विफल रहे।
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