
vivekanand statue in university
रक्तिम तिवारी/अजमेर।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा नहीं लग पाई है। बीते एक साल से मामला अटका है। कभी निविदा आमंत्रण तो कभी डिजाइन को लेकर तकनीकी पेंच कायम है।राज्यपाल कल्याण सिंह ने सभी विश्वविद्यालयों को स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगाने को कहा है।
विश्वविद्यालयय परिसर में भी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी लगाई जानी है। अष्टधातु से बनने वाली प्रतिमा के लिए केंद्रीय पुस्तकालय के समक्ष, कुलपति निवास अथवा अन्यत्र स्थान चिन्हित किया गया है। करीब 6 फीट ऊंची और 14 फीट के प्लेटफार्म पर लगने वाली मूर्ति का भी अता-पता नहीं है।
निविदा और डिजाइन का पेंच
बीते साल नवम्बर-दिसम्बर तक विश्वविद्यालय ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के लिए निविदा आमंत्रित की थी। लेकिन एक-दो फर्म ने ही रुचि दिखाई। इसके अलावा प्रतिमा के डिजाइन को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई। साल 2018 के पांचवें महीने तक भी प्रतिमा लगाने का कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है।
स्वामी विवेकानंद.....
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1983 को कोलकाता में हुआ था। वे बचपन से कुशाग्र बुद्धि के थे। अल्पायु में उन्होंने अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं का ज्ञान हासिल कर लिया था। अमरीका में हुए शिकागो धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को लेकर अभूतपूर्व भाषण दिया। इसकी मौजूदा परिपेक्ष्य में भी कई बार चर्चा होती है। विवेकानन्द के जीवन पर रामकृष्ण परमहंस का बहुत प्रभाव था। स्वामी विवेकानंद ने ही उठो जागो और लक्ष्य प्राप्त करो....का संदेश दिया था।
बार-बार फट रहा तिरंगा
विश्वविद्यालय में सौ फीट की ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया है। यह झंडा फिर फट गया है। पिछले सात महीने में झंडा तीसरी बार फटने के कारण नीचे उतारा गया है। बीते साल ओखी तूफान और मार्च में तेज हवाओं के कारण झंडा फट गया था। इस बार फिर ध्वज फटने से उसे नीते उतारा गया है। मालूम हो कि तिरंगा देश की आन-बान और शान है। इसको लहराता देख देशवासियों के मन में राष्ट्रीयता की भावना हिलोरें मारनी लगती है। चाहे क्रिकेट मैच हो या युद्ध का मैदान...तिरंगा सदैव आसमान में लहराता रहा है।
Published on:
08 May 2018 06:25 am
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
