6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बस कलैंडर में बदलता है साल, नहीं बदलते इन कॉलेज के हाल

सात शिक्षक ही कक्षाएं ले रहे हैं। जरूरत पडऩे पर सेशन कोर्ट के वकीलों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं।

2 min read
Google source verification
law college ajmer

law college ajmer

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

लॉ कॉलेज को सत्र 2019-20 में शिक्षकों की कमी से जूझना पड़ेगा। यहां के दो शिक्षक डेप्यूटेशन पर जयपुर में तैनात हैं। यहां कार्यवाहक प्राचार्य सहित महज सात शिक्षक ही रह गए हैं।

प्रदेश में वर्ष 2005-06 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा, झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। शुरुआत में लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षकों की स्थिति ठीक रही, लेकिन लगातार सेेवानिवृत्तियों के चलते स्थिति बिगड़ती चली गई। इनमें अजमेर का लॉ कॉलेज भी शामिल था। यहां पिछले साल जुलाई तक महज चार शिक्षक ही कार्यरत थे। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने विधि शिक्षकों के साक्षात्कार कराए। इसके बाद अगस्त में कॉलेज को तीन नए शिक्षक मिले।

ये हैं कॉलेज के हाल
यूं तो कॉलेज में नौ शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें डॉ. सुनील कुमार और अल्का भाटिया जयपुर में पदस्थापित हैं। डॉ. कुमार प्रतिमाह वेतन-भत्ते लॉ कॉलेज से ले रहे हैं। जबकि डॉ. भाटिया ने यहां ज्वाइन ही नहीं किया है। बीकानेर लॉ कॉलेज से रीडर डॉ. विभा शर्मा ने पिछले दिनों ही कार्यभार संभाला है। उनके सहित कॉलेज में सात शिक्षक ही कार्यरत हैं।

फिर आए उसी स्थिति में

14 साल से बार कौंसिल ऑफ इंडिया से कॉलेज को स्थाई मान्यता नहीं पाई है। इसके पीछे शिक्षकों की कमी सबसे बड़ा कारण रही है। यहां शिक्षकों की संख्या पूरी मिले, इसके चलते सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने कागजों में दस शिक्षकों की नियुक्ति बताई हुई है। वास्तव में सिर्फ सात शिक्षक ही कक्षाएं ले रहे हैं। जरूरत पडऩे पर सेशन कोर्ट के वकीलों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं।

ये लॉ कॉलेज की परेशानियां.....
-बीते 14 साल से बीसीआई से नहीं मिली स्थाई मान्यता

-विश्वविद्यालय से नहीं मिल रही तीन साल की सम्बद्धता
-प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के दाखिलों में होता है विलम्ब

-विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं होने से स्थाई प्राचार्य नहीं


बड़ी खबरें

View All

अजमेर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग