scriptकचरा निस्तारण प्लांट के टेंडर प्रक्रिया का हो रहा‘कचरा’ | Tender process of waste disposal plant is going on | Patrika News

कचरा निस्तारण प्लांट के टेंडर प्रक्रिया का हो रहा‘कचरा’

locationअजमेरPublished: Aug 24, 2020 10:06:48 pm

Submitted by:

bhupendra singh

गोपनीयता की आड़ में टेंडर में हो गया खेल
स्पष्टीकरण के नाम पर लिए ऑफलाइन दस्तावेजफर्मों ने कलक्टर को की शिकायत
लीगसी वेस्ट प्लांट टेंडर का मामलास्मार्ट सिटी

ajmer

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अजमेर.माखूपुरा डम्पिंग यार्ड dumping yard में पड़े 2.20 लाख मैट्रिक कचरे के निस्तारण के लिए स्मार्ट सिटी के तहत 14 करोड़ रुपए के लीगसी वेस्ट प्लांट waste disposal plant लगाने के ठेके की टेंडर Tender प्रकिया का स्मार्ट सिटी smart city के अभियंता‘कचरा’ करने में लगे हुए है। राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता नियम (आरटीपीपी एक्ट) को धता बताकर स्मार्टसिटी लिमिटेड के अभियंताओं ने अब ठेकेदारों से ऑफलाइन नए दस्तावेज भी ले लिए हैं। जबकि आरटीपीपी एक्ट के अनुसार ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में केवल ऑनलाइन दस्तावेज ही का तकनीकी मूल्यांकन किया जा सकता ऑफलाइन का नहीं। दस्तावेज भी तब लिए गए हैं जब टेंडर की तकनीकी प्रक्रिया हो चुकी है। ठेकेदारों को गोपनीय चि_ियां लिखकर दस्तावेज मंगवाने को लेकर अभियंता पहले ही सवालों के घेरे में है। लीगसी वेस्ट प्लांट के टेंडर लेकर प्रतियोगी फर्मो की शिकायत जिला कलक्टर व स्मार्टसिटी के सीइओ प्रकाश राजपुरोहित तक भी पहुंच गई है। कलक्टर ने मामले को स्मार्ट सिटी एसीईओ को भेजा है। शिकायकर्ता फर्म ने मामले की जांच करवाने की मांग की है, साथ ही स्मार्टसिटी की टेंडर अप्रूवल कमेटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए न्यायालय में जाने की चेतावनी भी दी है। मामले की जांच स्वतंत्र कमेटी से करवाने की मांग की है। ऐसे में कचरा निस्तारण के कार्य का यह टेंडर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।
यह हो रहा खेल
माखूपुरा डम्पिगयार्ड पर जमा 2.20 लाख मैट्रिक टन लीगेसी वेस्ट (कचरे) को प्रोसेस करने के लिए स्मार्टसिटी अभियंताओं ने ठेके की 17 जून को तकनीकी बिड खोली लेकिन दो माह बीतने के बावजूद अभियंता और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेसी (पीएमसी) ने तकनीकी मूल्यांकन नहीं किया। जबकि कार्यों का तकनीकी मूल्यांकन 7-10 दिन के बीच होना चाहिए। इस बीच अभियंताओं ने गोपनीय चि_िया लिखकर मुम्बई की भागीदार ठेका फर्मो से दस्तावेज मंगवाए।
नियमों सेअनंजान अभियंता,फायदा उठा रहा ठेकेदार
पीएमसी को 12.40 करोड़ रुपए का ठेका स्मार्ट सिटी ने दे दिया था। शर्तों के अनुसार पीएमसी के निर्धारित समय सीमा में काम नहीं करने पर 20 हजार रुपए प्रतिदिन जुर्माना तथा 10 प्रतिशत कॉन्ट्रेक्ट मूल्य जो कि लगभग 1 करोड़ 24 लाख तक लगाने का प्रावधान है लेकिन अभियंताओं ने आंखे मूंद रखी हैं। टेंडर पब्लीकेशन,समय,पीएमसी व अधिकारियों के वेतन व सुविधाओं पर लाखों रुपए खर्च हो रहे है। स्मार्टसिटी द्वारा जारी निविदाओं में भुगतान की शर्तो में मासिक रूप से भुगतान करने की शर्तें लगाई गई है। हाल यह है कि चल रहे कार्य के किसी के एक तो किसी के दो रनिंग बिल दिए गए है। कार्यों में हो रही देरी विभागीयस्तर पर खुद के ऊपर ले ली जाती है जिससे कि ठेकेदारों पर जुर्माना नहीं लगे।
करोड़ों के टेंडर रद्द मगर जिम्मेदार कोई नहीं
करोड़ों रुपए के प्रोजेक्टों के टेंडर प्रक्रिया के लिए परियाजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) व प्रोजेक्ट मैजनेजमेंट कंसल्टेंसी (पीएमसी) पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा जाने के बाद भी चिल्ड्रन पार्क, जेएलएन मेडिसिन ब्लॉक,गांधी स्मृति उद्यान सहित विभिन्न प्रोजेक्ट निरस्त होने के साथ ही धन व समय बर्बाद हुई। अभियंताओं की कारगुजारियों के कारण शहर जन उपयोगी प्रोजेक्टों से महरूम हो जाता है लेकिन किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की जाती है जुर्माना वसूलना दूर की बात है।
इनका कहना है

मामला अभी उच्चस्तर पर चर्चा में है। तकनीकी बिड खोली गई है। मामला रीटेंडर में जा सकता है।

अनिल विजयवर्गीय,मुख्य अभियंता,स्मार्ट सिटी

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