
गायों की सेवा को बनाया ध्येय, बेजुबानों की दूर कर रहे पीड़ा
बाड़ी . दीन-दुखी और असहाय व्यक्ति की सेवा से भगवान की भक्ति करने के बराबर फल मिलता है, लेकिन इससे भी बढक़र भीषण गर्मी के मौसम में यदि गौवंश की रक्षा के लिए पानी और चारे की व्यवस्था की जा रही है तो यह सबसे बड़ी सेवा है। शहर के गौसेवक हरिओम भोर होते ही गौ सेवा के काम में जुट जाते हैं। वहीं संजू सिंह परमार बेजुबानों का जीवन बचाने का जतन कर रहे हैं।शहर की पुरानी स्टेट बैंक के सामने सेठजी का नाका में रहने वाले हरिओम अपने घर-परिवार के कामों को छोडक़र अलसुबह ही गायों के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करने निकल जाते हैं। तहसील बाड़ी के गांव दादुर निवासी हरिओम अपने गांव को छोडक़र बाड़ी आए, तभी से गौ सेवा में लगे हैं। वह बताते हैं कि बाड़ी में पुनीत कार्यों के लिए धन देने वालों की कोई कमी नहीं हैं। कंधे पर चारे का बोरा लिए जगह-जगह लगी सीमेंट की हौदियों में चारा डालना एवं उनकी साफ -सफाई करना सुबह-शाम का नियम बन गया है।इसी तरह मोहल्ला ठाकुरपाड़ा के संजू सिंह परमार ने शहर के विभिन्न चौराहों और मोहल्लों में पानी की हौदी गायों के लिए लगवाई हैं। संजू सिंह कहते हैं कि जिस पर राधेरानी की कृपा होती है, वे ही इस सेवा में अपना योगदान दे पाते हैं। उन्होंने शहर के सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और भामाशाहों से आह्वान किया है कि वह अपने मकान के सामने गाय के लिए पानी की हौदी अवश्य लगवाएं और उनमें पानी और चारे का प्रबंध करें। युवा समाज सेवी संजू सिंह परमार की ओर से शहर में जगह-जगह सैकड़ों बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए चारे-पानी के लिए हौदियां रखवाई हैं। .......यह बोले लोगराजस्थान में सबसे अधिक तापमान धौलपुर जिले में रहता है। ऐसे में हम सभी का दायित्व बनता है कि मूक पशु-पक्षियों को दाने-पानी की व्यवस्था के लिए अपना पूर्ण सहयोग करें, ताकि इन बेजुबानों को गर्मी में राहत मिल सके।- मुकेश सिंघल, जिलाध्यक्ष अग्रवाल सभा................भीषण गर्मी के मद्देनजर सभी सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और भामाशाह अपने मकान के सामने गाय के लिए पानी की हौदी अवश्य लगवाएं और उनमें पानी और चारे का प्रबंध करें।- भूरा सिंह परमार, प्रमुखसमाज सेवी.............ऐसी भीषण गर्मी के मौसम में गौवंश की रक्षा के लिए हम सबको मिलकर सहयोग करना चाहिए।- भगवती प्रसाद मित्तल, अध्यक्ष अग्रसेन शिक्षा समिति............इस युग में प्रमुख रूप से दो ही पुण्य कार्य हैं। प्रथम माता-पिता की सेवा करना एवं द्वितीय इस धरती पर बेजुबान पशु-पक्षियों की सेवा करना। इससे बढक़र कोई पुण्य कार्य नहीं है।- राजेश शर्मा, विकास अधिकारी
Published on:
16 May 2022 12:00 am
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