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अजमेर

पुराने कपड़ों को नहीं पहचान पाएंगे आप, इनसे बनता है खास धागा

रेडिमेड और सामान्य कपड़े, लहंगे-चुन्नी, सलवार सूट, साड़ी और अन्य शामिल हैं। प्रतिवर्ष 20 से 30 करोड़ रुपए के कपड़े पुराने होकर बाजार में पहुंचते हैं।

अजमेरMar 27, 2025 / 10:10 am

raktim tiwari

Waste Clothes Resuse

Waste Clothes Resuse

अजमेर.शहर में इधर-उधर उड़ने-बिखरने अथवा फुटपाथ पर बिकने वाले पुराने कपड़ों से धागा बनाया जा सकता है। देश में पानीपत, भोपाल, बेंगलूरू, चेन्नई सहित विभिन्न शहरों में टेक्सटाइल रिकवरी फेसेलिटी सेंटर बनाए गए हैं। इनमें पुराने कपड़ों को री-साइकिल कर धागा तैयार हो रहा है।
6.50 लाख से ज्यादा आबादी वाले अजमेर में प्रतिवर्ष 150 से 200 करोड़ रुपए का कपड़े का कारोबार होता है। इनमें रेडिमेड और सामान्य कपड़े, लहंगे-चुन्नी, सलवार सूट, साड़ी और अन्य शामिल हैं। प्रतिवर्ष 20 से 30 करोड़ रुपए के कपड़े पुराने होकर बाजार में पहुंचते हैं। इसके अलावा 2.5 से 5 करोड़ रुपए के फटे-पुराने कपड़े, कतरन इधर-उधर उड़ते, बिखरते हैं। कई बार पेयजल और सीवर लाइन में फंस जाते हैं। इनसे शहर की स्वच्छता पर भी असर होता है।
टेक्सटाइल रिकवरी सेंटर

हरियाणा के पानीपत में सबसे बड़ा रीसाइकलिंग सेंटर है। इसमें करीब 300 टन पुराने कपड़े आते हैं। इन्हें रीसाइकिल कर धागा तैयार होता है। इसी तरह भोपाल में टेक्सटाइल रिकवरी फेसेलिटी सेंटर शुरु किया गया है। बेंगलूरू, चेन्नई और अन्य शहरों में भी ऐसे सेंटर संचालित हैं।
कपड़ों का बड़ा कारोबार

अजमेर में कपड़ों का बड़ा कारोबार होता है। डिग्गी बाजार, पुरानी मंडी, नया बाजार नला बाजार, दरगाह बाजार, मदार गेट पर बरसों पुरानी दुकानें हैं। इसके अलावा वैशाली नगर-गौरव पथ, जयपुर रोड, कचहरी रोड, आगरा गेट-हाथीभाटा सहित अन्य इलाकों में ब्रांडेड आउटलेट खुल चुके हैं। अजमेर में सूरत, कोलकाता, मुंबई, इंदौर, जयपुर, बेंगलूरू, चेन्नई, लखनऊ, बनारस, औरंगाबाद सहित कई शहरों से व्यापारी साड़ी, लहंगा, चुन्नी, सलवार सूट, सूट लेंच, पैंट- शर्ट और अन्य कारोबार करते हैं। अजमेर संभाग के भीलवाड़ा में सर्वाधिक टेक्सटाइल कारोबार होता है।
यों तैयार होता है धागा

-फटे-पुराने कपड़ों को काटा जाता है टुकड़ों में

-कार्डिंग मशीन से कपड़े को बदलते हैं कॉटन फाइबर में-रेशे को किया जाता है साफ

-ओपन एंड मशीन से तैयार होता है धागा
निगम की बढ़ सकती है कमाई

फटे-पुराने बेकार कपड़े से धागा बनाना फायदेमंद है। बेकार कपड़े 20 से 25 रुपए प्रति किलो में खरीदते हैं। इनसे धागा बनाकर 30 से 35 रुपए में बेचते हैं। रीसाइकिल उत्पादों से बने कच्चे माल की लागत भी कम होती है। यह नगर निगम की कमाई बढ़ाने के साथ स्वच्छता में भी सहायक है।
प्राे. आलोक चतुर्वेदी, केमिस्ट्री शिक्षक कॉलेज शिक्षा निदेशालय

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शब-ए-कद्र पर इबादत, इमामों को करेंगे दस्तारबंदी

अजमेर. शब-ए-कद्र के मौके पर गुरुवार को ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह समेत विभिन्न मस्जिदों में अकीदतमंद इबादत करेंगे। शहर की सभी मस्जिदों में कुरान शरीफ का दौर मुकम्मल होने पर हाफिजों व इमाम हजरात की दस्तारबंदी की जाएगी।
दरगाह स्थित शाहजहांनी मस्जिद, अकबरी मस्जिद और संदल खाना समेत शहर की सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज में पढ़ी जा रही कुरान शरीफ का दौर मुकम्मल होगा। फातिहा के बाद तबर्रुक वितरित किया जाएगा।
रोशनी से जगमगाई मस्जिद

शबे कद्र की रात को लेकर मस्जिदों को रोशनी से सजाया गया। शहर की विभिन्न मस्जिदों में रंगबिरंगी लाइट, फूल और अन्य से सजावट की गई। लोग घरों और मस्जिदों में पूरी रात इबादत करेंगे।
शहर में हुए रोजा इफ्तार

गरीब नवाज की दरगाह सहित विभिन्न कॉलोनियों, आवासीय सोसायटी और उद्यानों में रोजा इफ्तार जारी हैं। मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए सेहरी का इंतजाम किया गया। दरगाह के विभिन्न दालान में सेहरी कराई गई।

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