
Rat Eating Heroine: मथुरा में चूहों ने 581 किलो गांजा चट कर दिया। इसके बाद पुलिस विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी। इसी के तहत अब अलीगढ़ जिले के सभी थानों के मालखानों में जमा सामान का रिकॉर्ड तैयार कर उसे ऑनलाइन किया जा रहा है। यानी जिले के सभी थानों के मालखानों के सामान का रिकॉर्ड तैयार कर डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। इसके बाद क्यूआर कोड स्कैन करते ही मुकदमे संबंधी सामान की कुंडली खुलकर सामने आ जाएगी। एडीजी आगरा जोन ने बीते दिनों थानों के मालखाने में रखे जब्त सामान का ऑपरेशन पहचान के तहत डिजिटल रिकार्ड रखने का आदेश दिया था। जिसके बाद अलीगढ़ में ट्रायल के तौर पर थाना गांधीपार्क और लोधा में इसकी शुरूआत की गई। वहीं अब जिले के सभी 30 थानों में मुकदमों में जब्त सामान पर क्यूआर कोड चस्पा किया जा रहा है।
अब माल में हेरफेर नहीं कर पाएंगे पुलिसकर्मी
दरसअल, हर थाने में मालखाना कक्ष अलग बना होता है। जिसमें चोरी,लूट डकैती के अलावा विभिन्न मुकदमे से संबंधित सामान को सुरक्षित रखा जाता है। अब मालखाने में रखे सामान को प्लास्टिक के डिब्बों में रखकर क्यूआर कोड चस्पा किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार माल पर चस्पा बार कोड पर मुकदमे से संबंधित पूरी जानकारी मिल जाएगी। बार कोड स्कैन करते ही अपराध संख्या,माल का बजन समेत पूरा ब्योरा सामने आ जाएगा। किसी भी केस में पुलिस जो कोई माल बरामद करती है तो उसे मालखाने में जमा करा दिया जाता है।
अक्सर यह देखने में आता है कि नशीले पदार्थों के वजन में कमी हो जाती है या गायब हो जाते हैं। हथियार बदल जाते हैं। सामान असली से नकली हो जाता है। मगर अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि बरामद माल अब डिब्बों में सुरक्षित रखने के बाद उसका पूरा ब्यौरा कंप्यूटर में फीड करना होगा। पहले थानों में मालखाने के ब्यौरा का अलग रजिस्टर बनाया जाता था। अक्सर पुराने रजिस्टर व माल पर लिखी लेखनी मिट जाती थीं। जिससे पुलिस को अदालत में मुकदमे के ट्रायल के समय काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता था।
मथुरा में 581 किलो तो तमिलनाडु में 22 किलो गांजा खा गए थे चूहे
तमिलनाडु में कुछ समय पहले कोर्ट ने दो आरोपियों को सिर्फ इसलिए बरी कर दिया था, क्योंकि उनके खिलाफ 22 किलो गांजा रूपी सबूत को चूहे हजम कर गए । ठीक ऐसा ही मथुरा और पटना में हुआ। मथुरा में तो चूहों ने जहां 581 किलो गांजा चट कर दिया वहीं वे बिहार में लाखों रुपये की शराब भी गटक गए। अब चूहे थानों के मालखाने में रखा न अफीम-गांजा आदि खा सकेंगे और न ही शराब पी सकेंगे। अलीगढ़ में जिले के सभी थानों के मालखानों के सामान को रेकार्ड तैयार कर डिजिटलाइज किया जा रहा है। अब क्यूआर कोड स्कैन करते ही मुकदमे संबंधी सामान की कुंडली खुलकर सामने आ जाएगी।
महाराष्ट्र में पहली बार 90 के दशक में हुई थी रेट किलर्स की भर्ती
महाराष्ट्र में चूहों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए सबसे पहले 1990 के दशक में रेट किलर्स की भर्ती की गई थी। उस समय 33 रेट किलर्स के पद निकाले गए थे, एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पदों पर नियुक्ति के लिए चार हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। इसके बाद से लगातार बीएमसी चूहों से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए हर साल चूहे मारने के लिए बजट आवंटित करती है, वर्तमान में मुंबई के 12 वार्डों में चूहों को मारने के लिए रेट किलर्स तैनात हैं, इन्हें नाइट रेट किलर्स कहा जाता है जो रात में हाथ में डंडा लेकर चूहों को मारने के लिए निकलते हैं।
रेट किलर्स के लिए पहली बार भर्ती होने पर कई शर्तों को पूरा करना होता था। भर्ती होने वाले शख्स की उम्र 18 से 39 साल के बीच होनी चाहिए थी। इसके लिए फिजिकल टेस्ट भी होता था। इसमें शख्स को 49 किलो तक वजन उठाना होता था और बिना हांफें कुछ किलोमीटर दौड़ना होता था। सबसे आखिर में जो शर्त पूरी करती होती है वह है 10 मिनट में एक चूहे को मारना होता था।
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इधर से उधर हो जा रहा था जब्त किया गया सामान
अलीगढ़ एसपी सिटी, कुलदीप सिंह गुनावत ने बताया कि थानों में माल जब्ती के मुकदमों में सामान की पेशी के दौरान कई बार दिक्कतें आती थी। कभी थाने में नशीले पदार्थ को चूहे खा गए। कभी कोई वस्तु इधर-उधर हो गई। अब क्यूआर कोड लगाए जाने से मालखाने से सामान गायब होने जैसी कोई समस्या नहीं रहेगी। ऑपरेशन पहचान के तहत अलीगढ़ के सभी 30 थानों में क्यूआर कोड चस्पा कराए जा रहे हैं।
Updated on:
09 Jul 2023 09:16 am
Published on:
09 Jul 2023 09:15 am
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