लिलीपुट ने कहा कि अन्य विद्याओं से कहीं अधिक मुश्किल काम है एक्टर बनना और सफल होना। इस बीच उन्होंने सिने व टीवी जगत में नवोदित कलाकारों की संभावनाओं और आधुनिक उपकरणों के प्रयोग को बड़ी बारीकी से रखा।
ताज महल देखकर लौटे लिलीपुट ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ताजमहल देखने के बाद समझ में नहीं आ रहा कि शाहजहां की तारीफ करें या उन मजदूरों की जिन्होंने उसे बनाया। मुंबई से अपने साथी व स्क्रिप्ट राइटर राजीव अग्रवाल के साथ यहां आये वरिष्ठ सिने कलाकार लिलीपुट का अलीगढ़ कल्चरल क्लब तथा बाल कलाकार हिमाद्री धीरज, भूपेन्द्र सिंह आदि ने बुके भेंट कर स्वागत किया।
मिल्कबार रेस्टोरेंट पर पत्रकारों के सवालों का जबाव देते हुए लिलीपुट ने नवोदित कलाकारों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि जब उनके जैसी कदकाठी का व्यक्ति लिलीपुट बन सकता है तो, वह क्यों नहीं। कलाकार पैदा होते हैं, शौक में बना कलाकार अच्छा मुकाम हासिल नहीं कर पाता। गया (बिहार) में जन्में एमएम फारूकी उर्फ लिलीपुट ने बताया कि उन्हें कला के क्षेत्र में नसीरउद्दीन शाह से प्रेरणा मिली। कक्षा 6 से लेकर वह अब 68 वर्ष की उम्र में सिने व टीवी जगत के छुए व अनछुए पहलुओं से रूबरू हो चुके हैं। उनकी पहली फिल्म ‘रोमांस’ थी। जबकि फिल्म सागर, हुकूमत, चिंगारियां, आन्टी नम्बर-1 व बंटी और बबली प्रमुख रही हैं।
इस दौरान उन्होंने कला व अभिनय के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था अलीगढ़ कल्चरल क्लब व एएफटीवीआई के पदाधिकारियों को शुभकामनायें दीं। इस दौरान पंकज धीरज, आशीष अग्रवाल, विनय गौतम आदि मौजूद रहे।