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हाईकोर्ट ने ब्यूरोक्रैसी को दिखाया आईना, कहा- नहीं आता जांच करना, सरकार को भी कठघरे में किया खड़ा

कोर्ट ने सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के मामले में लोक सेवकों को लेकर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए ब्यूरोक्रेसी को आइना दिखाया है। मामले में प्रधान सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वह लोक सेवकों को सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के बारे में प्रशिक्षित करें, ताकि वे कर्मचारियों का करिअर बर्बाद न कर सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिव कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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हाईकोर्ट ने ब्यूरोक्रैसी को दिखाया आईना, कहा- नहीं आता जांच करना, सरकार को भी कठघरे में किया खड़ा

हाईकोर्ट ने ब्यूरोक्रैसी को दिखाया आईना, कहा- नहीं आता जांच करना, सरकार को भी कठघरे में किया खड़ा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ कमिश्नर, डीएम हाथरस और एसडीएम सासनी के आदेशों को रद्द करते हुए अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के मामले में लोक सेवकों को लेकर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए ब्यूरोक्रेसी को आइना दिखाया है। मामले में प्रधान सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वह लोक सेवकों को सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के बारे में प्रशिक्षित करें, ताकि वे कर्मचारियों का करिअर बर्बाद न कर सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिव कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

कमिश्नर अलीगढ़, डीएम हाथरस और एसडीएम सासनी के आदेश को किया रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार अहम पदों पर बैठे लोक सेवकों को सेवा संबंधी नियमों और कानूनों के बारे में प्रशिक्षित करने में असफल रही है। हाईकोर्ट ने कमिश्नर अलीगढ़, डीएम हाथरस और एसडीएम सासनी के याची के खिलाफ पारित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि सरकार के अधिकारी विभागीय जांच करने में बिल्कुल भी प्रशिक्षित नहीं हैं। वे विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ होने वाली जांच को सही तरीके से नहीं कर रहे हैं और वह गलत आदेश भी पारित कर रहे हैं।

प्रधान सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश को दिया निर्देश

कोर्ट ने प्रधान सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वह लोक सेवकों को सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के बारे में प्रशिक्षित करें, ताकि वे कर्मचारियों का करिअर बर्बाद न कर सकें। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया कि याची के इंक्रीमेंट को बहाल करते हुए उसे सभी लाभों को प्रदान किया जाए। साथ ही याची को चार सप्ताह में छह प्रतिशत की दर से एरियर का भुगतान किया जाए। मामले में समयबद्ध आदेश का अनुपालन नहीं होता है तो याची के एरियर को 12 प्रतिशत की दर की ब्याज से भुगतान करना होगा। कोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव, राजस्व को भेजने का भी आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिव कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।

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यह था पूरा मामला

मामले में याची की ओर से तर्क दिया गया है कि सासनी तहसील में तैनात क्लर्क है। याची पर दूसरे कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने और गाली देने का आरोप है। इसके अलावा आरोप था कि वह तहसील परिसर में शराब पीता है। इस आरोप में उसके दो इंक्रीमेंट रोकने का आदेश पारित किया गया। इसके साथ ही याची अधिवक्ता की तरफ से यह तर्क दिया गया कि याची के खिलाफ सही तरीके से जांच नहीं हुआ है। इसके साथ ही आरोप को साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं प्रस्तुत हुआ और जांच अधिकारी ने मौखिक बयानों के आधार पर याची के खिलाफ कार्रवाई कर दी, जोकि उत्तर प्रदेश सेवा नियम 1999 के नियम सात का उल्लंघन करता है।