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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्यवाही पर जाने क्यों लगाई रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब

locationप्रयागराजPublished: Apr 03, 2022 07:54:19 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने पुलिस इंस्पेक्टर बृजेंद्र पाल राणा की याचिका पर दिया है। याची इंस्पेक्टर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व इशिर श्रीपत ने बहस की ।इनका कहना था कि याची जब 2021 में थाना सदर बाजार में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत था तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 342 एवं 7 / १३ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 31 अगस्त 2021 को एफ आई आर दर्ज हुआ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्यवाही पर जाने क्यों लगाई रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्यवाही पर जाने क्यों लगाई रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के सदर बाजार थाने में तैनात रहे पुलिस इंस्पेक्टर बृजेंद्र पाल राणा के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्यवाही पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने पुलिस इंस्पेक्टर बृजेंद्र पाल राणा की याचिका पर दिया है। याची इंस्पेक्टर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व इशिर श्रीपत ने बहस की ।
इनका कहना था कि याची जब 2021 में थाना सदर बाजार में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत था तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 342 एवं 7 / १३ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 31 अगस्त 2021 को एफ आई आर दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता विकार अमीर ने याची के ऊपर पैसा लेने का आरोप लगाया। इंस्पेक्टर को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई। कोर्ट ने एसएसपी मेरठ को निर्देश दिया था कि वह इस केस की जांच क्षेत्राधिकारी रैंक के अधिकारी से कराएं।
याची के खिलाफ चार्जशीट देकर विभागीय कार्यवाही भी शुरू की गई। आरोप है कि उन्होंने जमीर आमिर को ट्रक चोरी के केस में पूछताछ हेतु बिना किसी अधिकार के अवैधानिक रूप से मुजफ्फरनगर से लाकर निरुद्ध किया गया तथा 50 हजार घूस लेकर उसे धमकाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई पूर्व में दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की जा रही है।
कहा गया कि क्रिमिनल केस के आरोप तथा विभागीय कार्रवाई के आरोप एक समान हैं और साक्ष्य भी एक ही है। बहस की गई कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट कैप्टन एम पाल एंथोनी तथा पुलिस रेगुलेशन के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है । यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जब अपराधिक व विभागीय कार्रवाई एक ही आरोपों को लेकर चल रही हो तो विभागीय कार्रवाई आपराधिक कार्यवाही के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए। कहा गया याची के खिलाफ की जा रही विभागीय कार्यवाही द्वेषपूर्ण व गलत है।

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