
अतीक और अशरफ। फाइल फोटो
माफिया अतीक अहमद और अशरफ का चालीसवां गुरुवार को था। इस दौरान प्रयागराज पुलिस को आशंका थी कि अतीक और अशरफ की कब्र पर फूल चढ़ाने माफिया की पत्नी शाइस्ता परवनी आ सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कब्र पर न तो कोई फूल चढ़ाने आया न ही कोई चिराग जलाने चकिया पहुंचा।गुरुवार देर रात पुलिस शाइस्ता के लिए चकिया में डेरा डाले रही। 5 बार के विधायक और एक बार के सांसद अतीक अहमद का उसकी जिंदगी में भले ही जबरदस्त रसूख और दबदबा रहा हो, लेकिन वक्त का सितम ऐसा है कि आज चालीसवे के मौके पर भी उसकी कब्र सूनी पड़ी हुई है।
चालीसवें की रस्म में क्या-क्या होता है?
इस्लामिक परंपरा के मुताबिक किसी शख्स की मौत के 40 दिनों तक परिवार में मातम पसरा रहता है। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते, किसी तरह की खुशियां नहीं मनाई जाती। 40 दिन पूरे होने पर चालीसवें की रस्म अदा की जाती है। परिवार के सदस्य व दूसरे करीबी आमतौर पर सुबह के वक्त ही मरहूम यानी मृतक की कब्र पर जाते हैं। वहां फूल चढ़ाते हैं और चादर पोशी की जाती है। इस दौरान फातिहा पढ़ी जाती है और मरहूम को जन्नत में जगह मिलने की दुआएं की जाती है। इसके अलावा घरों पर धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जाता है। गरीबों को खाना खिलाया जाता है। भंडारे का आयोजन होता है। मिसकीनों को बर्तन कपड़ों व दूसरे सामानों का दान किया जाता है। चालीसवे की फातिहा पढ़ी जाती है और मृतक को कब्र के आजाब से बचाने के लिए विशेष दुआ की जाती है।
Published on:
26 May 2023 08:41 am
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