इससे पहले रविवार सुबह 11 बजे से देर रात तक सीबीआई ने अल्लापुर स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में छानबीन की। करीब 13 घंटे यह जांच चली। इस दौरान जिस कमरे में महंत नरेंद्र गिरि ने कथित रूप से सुसाइड किया था, उसमें क्राइम सीन का री-क्रिएशन किया। सीबीआई टीम ने नरेंद्र गिरि द्वारा सुसाइड नोट में मठ का उत्तराधिकारी बनाए गए महंत बलवीर गिरि, लेटे हनुमान मंदिर की व्यवस्था देख रहे अमर गिरि, सेवादार बबलू, सुमित और धनंजय समेत मठ में काम करने वाले कुल 13 लोगों से पूछताछ की। कमरे का ताला खुलवाकर महंत के कमरे की एक-एक चीज और कागजों की पड़ताल की। सीबीआई ने महंत की कुछ डायरियों और कागजातों को अपने कब्जे में लिया है।
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के दिन बंद थे बाघंबरी मठ के कैमरे महंत की मौत के मामले में नया खुलासा हुआ है। महंत की रहस्यमयी मौत का पता लगाने का एकमात्र तरीका सीसीटीवी कैमरे घटना वाले दिन बंद पड़े थे। ऐसे में अपने पहली मंजिल के विश्राम कक्ष से उस प्रतीक्षालय तक महंत कब और कैसे पहुंचे? क्या उस कमरे में पहले से कोई मौजूद था? या फिर उनके आने के बाद कोई वहां दाखिल हुआ? ऐसे सवालों के जवाब ढूंढ पाना जांच कमेटी के लिए मुश्किल हो गया है। हालांकि, कैमरों के अचानक बंद होने के पीछे मठ के साधु संतों ने बिजली का चला जाना बताया है। इन कैमरों से जुड़ी एक डीवीआर मशीन कुछ दिन पहले ही खराब हो गई थी। उस दिन बख्शी बांध उपकेंद्र से जुड़े एसपी मालवीय फीडर पर 12:16 से 12:58 बजे तक कुल 42 मिनट तक बिजली आपूर्ति ठप थी।
घटना वाले दिन 15 कैमरे बंद घटना वाले दिन 15 कैमरे बंद थे, जबकि मठ में कुल 43 कैमरे हैं। महंत के आराम कक्ष से बाहर आने के बाद भूतल पर जहां शव मिला था उस कक्ष से लेकर मठ के मुख्य प्रवेश द्वार तक का बड़ा हिस्सा रिकॉर्ड करते थे। ये सभी कैमरे क्लाउड-9 कंपनी के थे और इनका मॉनीटर कंट्रोल महंत के निजी कक्ष में लगा है। सीबीआई ने इसे सील कर दिया है। लेकिन, इन कैमरों से जुड़ी डीवीआर मशीन, जिसमें खराबी की बात कही गई है, वह महंत के कक्ष के बाहर लगाई गई थी। घटना के बाद आनन-फानन बाहर भी निकाल दी गई।