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पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
इलाहाबाद Allahabad High Court बोर्ड परीक्षा Board exam में बैठने वाले परीक्षार्थियों board student के लिए कोविड-19 वैक्सीन Corona vaccine का टीका लगवना आवश्यक किया जा सकता है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार Central government और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च icmr को कहा है कि सीनियर सिटीजन के साथ साथ 10वीं और 12वीं की परीक्षा में बैठने वाले छात्र छात्राओं को भी कोविड-19 के टीकाकरण का लाभ देने के लिए विचार करना चाहिए।
महामारी की दूसरी लहर में युवाओं के तेजी से संक्रमित होने वाले ग्राफ के आधार पर हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार को ऐसे छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने पर विचार करना चाहिए। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने एक स्वतः संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान दलीलों और आंकड़ों का अवलोकन किया। इस दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि हालात बहुत अच्छे नहीं हैं और स्थितियां भयावह हैं। इसी को देखते हुए पीठ ने महामारी की इस स्थिति से लड़ने के लिए प्रबंधन और केंद्र सरकार के राज्य अधिकारियों को कुछ दिशा निर्देश व गाइडलाइन दी। इसके साथ ही हाईकोर्ट की इस खंडपीठ ने आगामी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि बोर्ड परीक्षा में बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी शामिल होगी। ऐसे में उन्हें सुरक्षित रखना आवश्यक है। इसके लिए बोर्ड परीक्षार्थियों को कोविड-19 टीका दिए जाने पर सरकार को विचार करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने इस दौरान बाजार में रेमडेसीवियर की उपलब्धता को भी सुनिश्चित कराए जाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि रेमडे सीवियर एक एंटी वायरल इंजेक्शन है और कोरोना संक्रमण के बीच इसकी मांग काफी बढ़ी है। इसलिए इसकी जमाखोरी नहीं होनी चाहिए। अगर कोई भी रेमडेसीवियर की जमाखोरी करता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। दरअसल पेश की दलीलों में कहा गया कि बाजार में रेमडेसीवियर की भारी कमी है और कोरोना काल में इस एंटीवायरल इंजेक्शन की काफी डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में लोग आपदा को अवसर में तब्दील करने की कोशिश में इस दवा को हैं और इस दवा को स्टॉक कर रहे हैं।
हाई कोर्ट में मुख्य रूप से प्रयागराज लखनऊ वाराणसी कानपुर गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में स्थित लेवल टू और लेवल 3 के अस्पतालों के लिए एंबुलेंस में हाई फ्लो कैनुला मास्क और सभी आवश्यक उपकरण
कराए जाने के लिए भी सरकार को लिखा है।
इसके पीछे हाइकोर्ट ने जिलों में तेजी से फैल रहे संक्रमण को कारण बताया है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वर्तमान में स्पाइक नाम का वायरस जिलों में दस्तक दे रहा है। यह वायरस पिछले बार के वायरस से भी खतरनाक बताया जा रहा है। इसने हालात भयावह कर दिए हैं। इस वायरस की वजह से कोविड-19 अस्पतालों में रोगियों की जैसे बाढ़ आ गई है। अस्पतालों में सुविधाएं कम पड़ रही हैं और मेडिकल स्टाफ की पहले से ही कमी है। ऐसे में स्थिति और अधिक भयावह लगती है। अगर वर्तमान समय में सावधानी पूर्वक इस वायरस को फैलने से नहीं रोका गया तो हम सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के पूर्ण पतन की ओर पहुंच जाएंगे जो बेहद भयावह स्थिति होगी। हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी हिदायत दी है कि वर्तमान समय चुनाव से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का है।
Updated on:
13 Apr 2021 11:47 pm
Published on:
13 Apr 2021 11:22 pm
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