scriptइलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त: डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में न दें कोई दखल | High Court strict: DM and SDM should not interfere in private land pro | Patrika News

इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त: डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में न दें कोई दखल

locationप्रयागराजPublished: Jul 06, 2022 02:36:32 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

कोर्ट ने डीएम मथुरा को याची के प्रत्यावेदन पर तीन हफ्ते में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया और कहा कि याची का प्रत्यावेदन सही पाया जाता है तो उसके मामले में प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई दखल नहीं दिया जाए। इसके अलावा आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव को भेज दी जाए। मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने मथुरा की कंस्ट्रक्शन कंपनी श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त: डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में न दें कोई दखल

इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त: डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में न दें कोई दखल

प्रयागराज: भूमि विवाद के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी सख्त आदेश दिया है। कोर्ट ने निजी भूमि संबंधी विवादों के मामले में गंभीर टिप्पणी की और कहा कि डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में कोई दखल न दें। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि सरकारी अफसर किसी का नहीं सुन रहे हैं। इसके साथ ही ये प्रशासनिक अफसर सरकार के आदेशों का भी अनुपालन नहीं कर रहे हैं और मनमाना आदेश पारित कर रहे हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव को मामले को देखने का निर्देश दिया। कहा कि वह इस संबंध में सुधारात्मक उपाय करें।
मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डीएम मथुरा को याची के प्रत्यावेदन पर तीन हफ्ते में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया और कहा कि याची का प्रत्यावेदन सही पाया जाता है तो उसके मामले में प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई दखल नहीं दिया जाए। इसके अलावा आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव को भेज दी जाए। मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने मथुरा की कंस्ट्रक्शन कंपनी श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया।
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मामले में दलील पेश करते हुए अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने तर्क दिया है कि याची द्वारा तीन प्लाट क्रय करके मथुरा वृंदावन प्राधिकरण से नक्शे की स्वीकृति मिलने के बाद आवासीय प्रोजेक्ट का निर्माण कराया जा रहा था। कुछ लोगों ने मथुरा सदर एसडीएम से शिकायत की। इस पर एसडीएम सदर ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। लेकिन याची ने भूमि क्रय की है और नगर निगम और विकास प्राधिकरण की मंजूरी भी थी।
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