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छोटे-मोटे प्रकृति के आरोप पर पुलिस की नियुक्ति निरस्त करना नहीं है सही- हाईकोर्ट

यह आदेश जस्टिस मंजू रानी चौहान ने सिपाही प्रशांत कुमार की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने बहस की। इनका कहना था कि याची के खिलाफ 10 मई 2021 को महामारी कानून के अंतर्गत थाना - दोघाट जिला बागपत में मुकदमा दर्ज हुआ था। सरकार ने एक नीतिगत निर्णय लेकर 26 अक्टूबर 2021 को महामारी कानून के अंतर्गत दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया।

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छोटे-मोटे प्रकृति के आरोप पर पुलिस की नियुक्ति निरस्त करना नहीं है सही- हाईकोर्ट

छोटे-मोटे प्रकृति के आरोप पर पुलिस की नियुक्ति निरस्त करना नहीं है सही- हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि छोटे-मोटे व नॉर्मली प्रकृति के आरोप के अपराधों को लेकर पुलिस की नियुक्ति को निरस्त करना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान महामारी कानून के तहत दर्ज मुकदमा को छिपाकर याची सिपाही पर नौकरी पा लेने का आरोप है। इसकी जानकारी न देने पर उसकी नियुक्ति को निरस्त करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि याची का चयन निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट के अवतार सिंह एवं पवन कुमार केस में दी गई विधि व्यवस्था का पालन करने में अधिकारी विफल रहे। कोर्ट ने 44 बटालियन पीएसी कमांडेंट के याची की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया है और नये सिरे से सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश जस्टिस मंजू रानी चौहान ने सिपाही प्रशांत कुमार की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने बहस की। इनका कहना था कि याची के खिलाफ 10 मई 2021 को महामारी कानून के अंतर्गत थाना - दोघाट जिला बागपत में मुकदमा दर्ज हुआ था। सरकार ने एक नीतिगत निर्णय लेकर 26 अक्टूबर 2021 को महामारी कानून के अंतर्गत दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया। कहा गया की इसी क्रम में 15 फरवरी 2022 को याची पर लगा मुकदमा भी वापस ले लिया गया। याची न तो कभी गिरफ्तार हुआ और न ही उसने कभी जमानत कराई। उसे मुकदमे की कोई जानकारी भी नहीं थी। कहा गया था कि तथ्य छिपाने का आरोप तब सही होता जब याची को केस की जानकारी होती और उसने इसे छुपा लिया होता।

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कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अवतार सिंह तथा पवन कुमार के केस में कहा है कि यदि दर्ज केस की प्रकृति छोटी व तुच्छ प्रकृति की है तो ऐसे केस के आधार पर चयन निरस्त करना अनुचित होगा। कोर्ट ने कहा कि पहले तो याची को केस की कोई जानकारी नहीं थी और दूसरा यह कि उसके विरुद्ध दर्ज केस तुच्छ प्रकृति का था। ऐसे में कमांडेंट 44 बटालियन पीएसी द्वारा याची का चयन व नियुक्ति निरस्त करना गलत है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि विपक्षी कमांडेंट 2 माह में याची के मामले में फिर से निर्णय लें। मामले के अनुसार याची का चयन 16 नवंबर 2018 की पुलिस भर्ती में हुआ था।