13 अगस्त 1996 को सिविल लाइंस इलाके में एके-47 से समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले जवाहर यादव पंडित की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।इस मामले में सुबे के कद्दावर राजनीतिक घराने करवरिया परिवार के तीनों भाइयों पर हत्या का आरोप लगा। जिसमें सालों बाद सुनवाई शुरू हुई और करवरिया बन्धुओ को जेल जाना पड़ा।
1 जनवरी 2014 को उदय भान करवरिया ने सरेंडर किया।जिसके बाद पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया और एमएलसी सूरज भान करवरिया सहित चचेरे भाई कल्लू महाराज को भी जेल में बंद है। रसूखदार राजनीतिक घराने के तीनों कद्दावर चेहरों के जेल जाने के बाद सालों से चली आ रही राजनीतिक पकड़ कमजोर हो रही थी।2017 के विधानसभा चुनाव में उदय भान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया को मेजा विधानसभा से टिकट मिला और भारी मतों से नीलम ने जीत दर्ज की।साथ ही खानदान का राजनीतिक रसूख भी बचाया।
गौरतलब हो की शनिवार की देर शाम डिस्ट्रिक कोर्ट में योगी सरकार द्वारा अर्जी दिए जाने की जानकारी मिली। वही करवरिया समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। सालों बाद कोठी पर इतनी भीड़ देखने को मिली। नीलम करवरिया को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा जहां एक तरफ करवरिया समर्थकों में ख़ुशी है तो वही विरोधियों में मायूस रहे।