scriptThe driver is not aware of the strict division | चालक जागरूक ना विभाग सख्त | Patrika News

चालक जागरूक ना विभाग सख्त

locationजयपुरPublished: Jul 24, 2015 01:18:51 am

Submitted by:

afjal khan

वाहनों का प्रदूषण रोकने के लिए एक जुलाई से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया गया, लेकिन 22 दिन बीतने के बावजूद एक प्रतिशत वाहन चालकों ने भी प्रमाण-पत्र नहीं बनवाए।

वाहनों का प्रदूषण रोकने के लिए एक जुलाई से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया गया, लेकिन 22 दिन बीतने के बावजूद एक प्रतिशत वाहन चालकों ने भी प्रमाण-पत्र नहीं बनवाए।

 चौंकाने वाली बात यह है कि शहर में संचालित एक भी पेट्रोल-पम्प पर पेट्रोल वाहन का प्रदूषण मापने की मशीन ही नहीं है। 

केवल जयपुर रोड स्थित एक पेट्रोल पम्प पर डीजल वाहनों के पॉल्यूशन कार्ड बनाए जा रहे हैं। परिवहन विभाग की ओर से एक मोबाइल वैन के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र बनाने की सुविधा कुछ दिनों के लिए घंटाघर क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई, लेकिन चन्द लोगों ने ही प्रमाण-पत्र बनवाए। 

इससे विभाग ने वापस इसे कार्यालय में बुला लिया। अब यहां भी कोई प्रमाण-पत्र बनवाने नहीं आ रहा। जबकि कलक्टर के आदेशानुसार प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र दिखाने पर ही पम्प संचालकों की ओर से वाहन में पेट्रोल व डीजल भरना था। 

उल्लेखनीय है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिए गए आदेश की पालना में एक जुलाई से सभी वाहन चालकों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य किया था। गत दिनों कलक्टर ने इसके लिए सम्बन्धित अधिकारियों की बैठक ली थी। 

इसमें जिला परिवहन अधिकारी, जिला रसद अधिकारी, सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी, पेट्रोल पम्प संचालक व वाहन डीलर्स शामिल हुए थे। 

पम्प संचालकों को प्रदूषण जांच केन्द्र के लिए आवश्यक मशीनरी की व्यवस्था करने व जिला रसद अधिकारी को व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए निर्देशित किया था। 

ये है जांच प्रक्रिया
प्रदूषण जांच केन्द्र पर वाहन की जांच गैस एन्हेलाइजर या स्मोक मीटर से की जाएगी। यदि मापदण्डों पर वाहन खरा उतरता है तो उसे प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र (स्टीकर या प्रमाण-पत्र) देना होगा। 

इस अनिवार्यता के 22 दिन बीतने के बाद भी लोगों ने प्रमाण-पत्र नहीं बनवाए। जबकि जिले में वाहनों का आंकड़ा दिनोंदिन तेजी से बढ़ रहा है। 

विभाग की ओर से दुपहिया वाहनों से 30, तिपहिया व चार पहिया वाहनों से 50 व सभी प्रकार के डीजल वाहनों से 65 रुपए प्रदूषण प्रमाण-पत्र के वसूले जाएंगे। 
 
असमंजस की स्थिति भी 
प्रदूषण जांच केन्द्र पर वाहन ले जाने पर पम्प संचालक उसे प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र जारी करेगा। जबकि प्रदूषण की सीमा अधिक होने पर उसके नियंत्रण के लिए क्या उपाय होंगे। इसके लिए अभी असमंजस की स्थिति है।

डेढ़ हजार से अधिक ऑटो
शहर में दौड़ रहे कई ऑटो रिक्शा परिवहन विभाग में पंजीकृत नहीं है। सूत्रों के मुताबिक शहर में करीब डेढ़ हजार से अधिक ऑटो रिक्शा धड़ल्ले से संचालित हैं। इनमें अधिकांश के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र नहीं है। 

लोगों का मानना है कि इनमें कई तो तय सीमा से अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। इसके बावजूद ना तो यातायात कर्मी इनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हंै और ना ही परिवहन विभाग सख्ती बरत 
रहा है।

सख्ती बरते तो चले काम
एक पेट्रोल-पम्प के संचालक का कहना है कि पॉल्यूशन नियंत्रण मशीन लगाने में तीन लाख से अधिक का खर्चा है। 

इसके अलावा एक कर्मचारी का वेतन, बिजली व दुकान का खर्च अतिरिक्त है। इसके बावजूद विभाग सख्ती बरते तब ही तो वाहन चालक प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र बनवाने लगेंगे। 

खर्चा नहीं निकलने की आशंका से ही पम्प चालक कुछ शिथिलता बरत रहे हैं। इसके अलावा पेट्रोल व डीजल आवश्यक वस्तु अधिनियम में आने से वह किसी को देने से मना नहीं कर सकते।

वाहनों की स्थिति
दुपहिया वाहन 1, 78, 688
जीप-कार 8, 516
ट्रैक्टर 17, 864
बस 1047
ट्रक 4, 400
अन्य 1200

आवेदन हीं नहीं आ रहे
 प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए 10-12 आवेदन ही आने से कार्य में कुछ शिथिलता है। हालांकि जल्द ही इस बारे में जिला रसद अधिकारी के साथ बैठक कर कार्य को गति दी जाएगी। विभाग की ओर से एक मोबाइल वैन के माध्यम से प्रमाण-पत्र बनाने का काम जारी है।
राजीव त्यागी, जिला परिवहन 
अधिकारी, टोंक
Copyright © 2023 Patrika Group. All Rights Reserved.