कोर्ट ने कहा कि 7 वर्ष की लगातार वकालत की आवश्यकता संविधान के अनुच्छेद 233 (2) में निहित है। कोर्ट अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के दीपक अग्रवाल केस में दिए गए निर्णय को आधार बनाया। मामले के अनुसार याची बिन्दु ने उप्र उच्च न्यायिक सेवा में जिला जज बनने के लिए आवेदन किया था। उसने प्रारम्भिक परीक्षा पास कर ली। हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने यह पाया कि याची वर्तमान में लोक अभियोजक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व उसका अगस्त 2017 में ट्रेडमार्क एण्ड जी आई के परीक्षक के रूप में चयन हुआ था। कोर्ट ने पाया कि याची एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत वकील नहीं रह गई थी। उसने अपना लाइसेंस भी समर्पित कर दिया धा।उसे जरूरी सात साल की वकालत का अनुभव नहीं है।
प्रयागराज: हेड कांस्टेबल को छठे वेतन आयोग का लाभ देने पर निर्णय लेने का निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिले में तैनात हेड कांस्टेबल को छठे वेतन आयोग के तहत बकाये सहित एसीपी का लाभ देने का प्रत्यावेदन नियमानुसार 3 माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अवधेश कुमार की याचिका पर दिया है। याची का कहना था उसने 24 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है ।इसलिए उसे 1 जनवरी 2006 से छठे वेतन आयोग की शिफारिश के तहत ए सी पी सहित बकाये वेतन का ब्याज सहित भुगतान किया जाए। याची ने प्रत्यावेदन दिया है किन्तु कोई निर्णय नहीं लिया गया।