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बिना रजिस्ट्रेशन चल रही 500 जांच लैब, 44 लाख लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

अलवर जिले में ज्यादातर लैब का रजिस्ट्रेशन नहींचिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर

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बिना रजिस्ट्रेशन चल रही 500 जांच लैब, 44 लाख लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

बिना रजिस्ट्रेशन चल रही 500 जांच लैब, 44 लाख लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

अलवर. राज्य सरकार एक तरफ तो मरीजों को नि:शुल्क जांच और इलाज की सुविधा दे रही हैं। वहीं, निजी जांच लैब के संचालन में नियम-कायदों की पालना कराने पर कोई ध्यान ही नहीं दे रही है। जिसके चलते यहां लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। अलवर जिले की बात करें तो यहां 500 से ज्यादा निजी जांच लैब हैं। इनमें अधिकांश लैब का रजिस्ट्रेशन नहीं है। सभी लैब बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही हैं। जिले की 44 लाख की आबादी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन फिर भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग भी इस विषय में लापरवाह बना हुआ है। अलवर जिले में बीते पांच सालों में जांच लैब की संख्या में अधिकाधिक बढ़ोतरी हुई। अलवर शहर में ही 50 से अधिक जांच लैब हैं, जबकि पूरे जिले में करीब 500 लैब हैं। छोटी-सी आटा चक्की खोलने के लिए प्रदूषण सहित कई विभागों से अनुमति लेनी होती है, लेकिन अलवर जिले में पिछले एक साल से जांच लैब का रजिस्ट्रेशन पिछले एक साल से बंद पड़े हैं।
किस खाते में जमा कराए रजिस्ट्रेशन शुल्क : क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सभी जांच लैबों की फीस जमा होगी। अलवर जिले में पहले यह चिकित्सा विभाग के खाते में जमा होती थी, लेकिन बाद में ऑडिट पैरा बनने के बाद यह फीस ही जमा करना बंद कर दिया। यहां से विभाग के मुख्यालय से कई बार मार्गदर्शन मांगा कि यह फीस किस खाते में जमा कराए, लेकिन उसका जवाब नहीं आया। क्लिनीकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निर्धारित समय सीमा तक पंजीकरण नहीं कराने पर अधिकतम 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

यहां तो बिना योग्यता के चला रहे लैब
पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ) के उस निर्णय को सही माना था जिसमें पैथोलॉजी लैब में पीजी की योग्यता धारकों द्वारा ही जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर को जरूरी बताया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा है कि यदि किसी लैबोरेट्री में रिपोर्ट पीजी पैथोलॉजिस्ट की ओर से हस्ताक्षरयुक्त नहीं है तो उस स्थिति में उस रिपोर्ट को गलत माना जाएगा। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट देने वाली लैबोरेट्रीज को तत्काल बंद कर देना चाहिए।

यह है कानून
प्रदेश भर में संचालित पेथोलॉजी लैब को क्लिनीकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक है। पैथोलॉजी लैब को क्लिनीकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) नियम 2013 एवं केन्द्र सरकार के नियम 2018 के तहत पंजीयन करवाना अनिवार्य है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण किए जाते रहे हैं। मनमानी फीस वसूली पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं मरीजों को बेहतर जांच सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से इस तरह की व्यवस्था की गई। रजिस्ट्रेशन अनिवार्यता प्रावधान के तहत पैथोलॉजी लैब को पहले प्रोविजनल और बाद में स्थायी पंजीकरण कराना होगा। प्रोविजनल पंजीकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में किए जाते हैं।

यह होती हैं जांचें
पैथ लैब में खून, आरबीसी, ईएसआर, प्लेटलेट््स काउंट, सीबीसी, ब्लीङ्क्षडग टाइम, क्लोङ्क्षटग टाइम, हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप व टीईसी की जांच होती है।

यह है रियम
रिपोर्ट में साइन करने के लिए पैथोलॉजिस्ट का लैब में रहना जरुरी
केवल डिजिटल हस्ताक्षर से पैथोलॉजिस्ट की रिपोर्ट मान्य नहीं
एमबीबीएस और दूसरे विभागों से एमडी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे।
लैब टेक्नीशियन जांच रिपोर्ट पर साइन नहीं कर सकेंगे।