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अलवर के सामान्य अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को हो रही है टीबी, जानिए क्या है कारण

अलवर के सामान्य चिकित्सालय में भर्ती होने वाले मरीजों को है टीबी का खतरा।

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अलवर

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Himanshu Sharma

Feb 08, 2018

Admitted patients in general hospital of alwar suffering from tb

अलवर. सामान्य अस्पताल के वार्डों में सामान्य मरीजों के साथ टीबी के मरीजों का इलाज होता है। ऐसे में सामान्य मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। जबकि टीबी अस्पताल में मरीजों के भर्ती की कोई सुविधा नहीं है। इसके अलावा टीबी के मरीजों की जांच भी सामान्य अस्पताल में होती है। टीबी अस्पताल में आए दिन गड़बड़ी की शिकायतें मिलती है। इस सम्बंध में कई जांच चल रही हैं। एक जांच के आदेश कुछ दिन पहले ही मिले हैं।

जिले में 3000 टीबी के मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 141 ऐसे मरीज हैं। इनकी टीबी ला इलाज हो चुकी है। हर माह करीब एक हजार मरीजों के बलगम की जांच होती है। इसमें बड़ी संख्या में नए मरीज मिलते हैं। नियम के हिसाब से मरीजों की जांच, इलाज व भर्ती की सुविधा अलग होनी चाहिए। अलवर में सामान्य अस्पताल के सामने अलग टीबी अस्पताल है। लेकिन यह अस्पताल केवल नाममात्र का है। मरीजों के बलगम की जांच सामान्य अस्पताल में होती है व टीबी के मरीज सामान्य अस्पताल के वार्डों में भर्ती रहते हैं। ऐसे में अन्य मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। क्योंकि टीबी का संक्रमण तेजी से फैलता है। लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

आए दिन दवा नहीं मिलने की शिकायत

जिले में टीबी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मरीजों की आए दिन समय पर दवा नहीं मिलने। सेंटरों पर गलत व्यवहार करने सहित कई शिकायतें मिलती हैं। लेकिन इस तरफ अधिकारियों का ध्यान नहीं है।

अस्पताल में आता है लाखों का बजट

टीबी अस्पताल में कोई काम नहीं रहता है। दिनभर कर्मचारी बैठे रहते हैं। एेसे में इस अस्पताल में हर माह मरीजों के नाम पर लाखों रुपए का बजट भी उठाया जाता है। जबकि ना तो अस्पताल में मरीजों के भर्ती की सुविधा, ना जांच होती है।

सेंटर के लिए रैफर कर देते हैं

जो मरीज पॉजीटिव आते हैं, उनको टीबी अस्पताल में उसके घर के आसपास के सेंटर के लिए रैफर कर देते हैं। वहां से मरीज दवा लेता रहता है। जबकि टीबी अस्पताल में कुल 45 कर्मचारियों का स्टाफ है। इनमें से 15 कर्मचारी जिला मुख्यालय पर लगे हुए हैं। जबकि अन्य जिलेभर अन्य जगहों पर लगे हुए हैं। इनका मरीजों को कोई फायदा नहीं मिलता है। जबकि कर्मचारी हर माह लाखों रुपए वेतन लेते हैं। लेकिन काम के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है।