
अलवर की इस विधानसभा सीट मे रहा मंत्री राज, लेकिन विकास के लिए हमेशा होना पड़ा मोहताज, आप भी जानिए
धर्मेन्द्र यादव की रिपोर्ट
अलवर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल अलवर जिले के बानसूर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने नेताओं पर खूब भरोसा रखा। अगर विकास के मामले में देखें तो नेताजी ने जनता का विश्वास तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। तभी तो यहां 66 सालों में भी एक भी उद्योग व रोजगार खड़ा नहीं हुआ है। अभी तक जनता बिजली, पानी व सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है। किसानों के हाल की चर्चा की तो आज भी 50 साल पुरानी तस्वीर सामने है।
यहां तीन नेताओं को जनता ने 45 साल राज करने का मौका दिया है। जिसमें ब्रदीप्रसाद गुप्ता 25 साल तक विधायक रहे। जगत सिंह दायमा 11 साल और डॉ. रोहिताश्व शर्मा 9 साल विधायक रहे हैं। खास बात यह है कि तीनों अलग-अलग सरकारों में मंत्री रहे। इनके अलावा हरी सिंह यादव भी मंत्री रहे हैं। जो विधायक नहीं बने वो सरकार के आला पदों पर काबिज रहे। इनमें बीज निगम के अध्यक्ष धमेन्द्र राठौड़ व यूआइटी अलवर के चेयरमैन देवी सिंह शेखावत भी शामिल हैं। फिर भी यह क्षेत्र विकास में बहुत पीछे रह गया। आगामी चुनाव से पहले अब जनता के बीच में गए तो सबसे बड़ी समस्या पानी, बिजली व सडक़ की सामने आई है। दूरगामी विकास के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं।
यहां बड़ी सरकारी व गोचर भूमि होने के बावजूद कोई औद्योगिक विकास नहीं हो सका। आज भी 90 प्रतिशत परिवार खेती व मजदूरी के भरोसे हैं। बानसूर से छोटे कस्बों में सरकारी कॉलेज खुल गए। लेकिन जनता मान रही है कि यह चुनाव से पहले जनता को लुभाने के लिए आनन-फानन में खोला गया है । भवन तो कब बनेगा पता नहीं अभी तो मुख्य गेट पर सरकारी कॉलेज के नाम का हॉर्डिंग भी फटा पड़ा है।
आधे बानसूर में रोडवेज बस संचालन नहीं
नारायणपुर को तहसील और बानसूर को नगर पालिका बनाने की बात अभी दूर है। अभी तो आधा बानसूर विधानसभा क्षेत्र रोडवेज संचालन से दूर है। जिसके कारण ग्रामीण मौत सिर पर लेकर जीपों में ओवरलोड आ-जो
रहे हैं।
उद्योग लगे ही नहीं : जहां करीब 5 लाख की आबादी कृषि पर आधारित हो। वहां किसी ने उद्योग लगाने के प्रयास नहीं किए। नहीं तो आज बानसूर भी बहरोड़ व नीमराणा की तरह आगे होता। इसी कारण सैकड़ों युवा रोजाना नौकरी के लिए बहरोड़ व नीमराणा जा रहे हैं। जबकि यहां सरकारी भूमि खूब है। जमीन में पानी का स्तर भी दूसरी जगहों की तुलना में काफी ऊपर है।
कई निजी कॉलेज चल रहे
शिक्षा के क्षेत्र में बानसूर खुद आगे बढ़ा है। कई बड़े निजी कॉलेज व स्कूल हैं। जिनमें बाहर के विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। करीब एक हजार से अधिक बच्चे कोटपूतली व अलवर कॉलेजों में जा रहे हैं। कई हजार निजी कॉलेजों में पढ़ रहे हैं। फिर भी सरकारों ने यहां सरकारी कॉलेज खोलने में इतना विलम्ब किया।
कभी गांधीजी ने जिक्र किया था
कभी महात्मा गांधीजी ने भी बानसूर के नीमूचना का जिक्र किया था। नीमूचाना कांड को उन्होंने जलिया वाला बाग हत्याकांड से भी वीभत्स बताया था। अलवर के 52 किलों में से एक किला बानसूर कस्बे में है। जो यहां की खास पहचान भी है।
जानिए किनके हाथ में रहा
25 साल तक ब्रदी प्रसाद गुप्ता, 11 साल तक जगत ङ्क्षसह दायमा और 9 साल तक डॉ. रोहिताश्व शर्मा विधायक रहे। तीनों मंत्री भी रहे हैं। इनके अलावा हरी सिंह यादव, सतीश कुमार, महिलापा सिंह यादव, शकुंतला रावत को पांच-पांच साल कार्य करने का मौका मिला है।
इनके हाथ में रहा बानसूर
1952 में बद्री प्रसाद, 1957 बद्रीप्रसाद गुप्ता, 1962 में सतीश कुमार, 1967 बद्री प्रसाद, 1972 में बद्री प्रसाद, 1977 में हरी सिंह यादव, 1980 बद्री प्रसाद, 1985 में जगत सिंह दायमा, 1990 जगत सिंह दायमा, 1993 में डॉ. रोहिताश्व शर्मा, 1998 में जगत ङ्क्षसह दायमा, 2002 में वापस डॉ. रोहिताश्व शर्मा, 2003 से महिपाल सिंह यादव, 2008 में डॉ. रोहिताश्व शर्मा, 2013 में शकुंतला रावत विधायक रहे हैं। सबसे अधिक बद्री प्रसाद बानसूर से पांच बार विधायक रहे। तीन बार जगत सिंह दायमा, दो बार रोहिताश्व शर्मा विधायक रहे हैं। 1977 में हरी सिंह यादव वन मंत्री रहे, बद्री प्रसाद स्वास्थ्य मंत्री, 1990 में जगत सिंह दायमा अल्प बचत मंत्री, 1993 में डॉ. शर्मा यातायात मंत्री बने।
Published on:
24 Oct 2018 04:12 pm
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