क्या हुआ रकबर के साथ अलवर मॉब लिचिंग से मौत के मामले में कुछ सवाल भी उठ रहे हैं? शुक्रवार रात घटना के समय, पुलिस को मिली प्रथम सूचना और रामगढ़ के डॉक्टर के पास लाए गए घायल के समय का मिलान करने पर ये सवाल कुछ गंभीर इशारे कर रहे हैं। रात करीब 12.30 बजे की घटना के बाद मौके पर पुलिस करीब 12.50 बजे पहुंच गई थी। तब रकबर जीवित था। इसके बाद उसे थाने लाया गया। जबकि रामगढ़ के चिकित्सा अधिकारी हसन अली के पास उसे तडके चार बजे ले जाया गया। जहां अली ने उसे मृत्त घोषित कर दिया। ऐसे में रात करीब 1 बजे से सुबह चार बजे तक थाने में उसके साथ क्या हुआ? रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने बयान देकर पुलिस पर ही मारपीट का आरोप जड़ा है। हालांकि भीड़ के हमले और मारपीट के इतर थाने में भी मारपीट होने की तरफ इशारा किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो यह मौत पुलिस कस्टडी में मौत का गंभीर मामला भी बनता है।
टाइम लाइन घटना का समय- रात 12.30 बजे
पुलिस को सूचना- 12.41 बजे
तीन किलोमीटर की दूरी से पुलिस पहुंची- 12.50 बजे
पुन: थाने लेकर गए- 1 बजे
अस्पताल ले गए- तड़के- 4 बजे
अलवर अस्पताल पहुंचे- सुबह 7.30 बजे
पोस्टमार्टम – दोपहर- 2.10 बजे
पुलिस को सूचना- 12.41 बजे
तीन किलोमीटर की दूरी से पुलिस पहुंची- 12.50 बजे
पुन: थाने लेकर गए- 1 बजे
अस्पताल ले गए- तड़के- 4 बजे
अलवर अस्पताल पहुंचे- सुबह 7.30 बजे
पोस्टमार्टम – दोपहर- 2.10 बजे
मोटे मुनाफे ने बढ़ाई तस्करी अलवर में गोतस्करी के बढऩे का एक कारण मोटा मुनाफा है। गोतस्कर राजस्थान केे विभिन्न इलाकों से सस्ते दामों पर गोवंश खरीदकर उसे बेचने के लिए हरियाणा ले जाते हैं, जहां इस गोवंश के अच्छे दाम मिलते हैं। हरियाणा में इस गोवंश से गोमांस तैयार किया जाता है, जो कि ऊंचे दामों पर बिकता है। पुलिस की मानें तो राजस्थान में गोतस्करों को गोवंश 5 से 7 हजार रुपए में आसानी से मिल जाती है, जिसे हरियाणा में गोमांस का व्यापार करने वाले लोग 20 से 25 हजार रुपए में आसानी से खरीद लेते हैं। एक साथ में कई-कई गोवंश ले जाने से गोतस्करों को एक चक्कर ही लाखों रुपए का पड़ता है।