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अलवर है लघु उद्योगों का हब, साढ़े छह लाख लोगाें को मिलता है रोजगार

अलवर जिला लघु उद्योगों का हब है। जिले में बनने वाले कुल उत्पादों का 45 प्रतिशत सूक्ष्म व लघु उद्योगों में निर्मित होता है। अलवर जिले से निर्यात होने वाले सामान का 40 प्रतिशत इन लघु, सूक्ष्म व माध्यम उद्योगों के माध्यम से ही होता है।

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अलवर है लघु उद्योगों का हब, साढ़े छह लाख लोगाें को मिलता है रोजगार

अलवर है लघु उद्योगों का हब, साढ़े छह लाख लोगाें को मिलता है रोजगार

अलवर है लघु उद्योगों का हब, साढ़े छह लाख लोगाें को मिलता है रोजगार
अलवर.

अलवर जिला लघु उद्योगों का हब है। जिले में बनने वाले कुल उत्पादों का 45 प्रतिशत सूक्ष्म व लघु उद्योगों में निर्मित होता है। अलवर जिले से निर्यात होने वाले सामान का 40 प्रतिशत इन लघु, सूक्ष्म व माध्यम उद्योगों के माध्यम से ही होता है।

नए औद्योगिक क्षेत्र बसाने की कवायद-

दिल्ली और जयपुर के मध्य िस्थत अलवर जिले में उद्योग लगाने के लिए उद्योगपति यहां आना चाहते हैं, लेकिन इस समय यहां नए उद्योग लगाने के लिए जमीन ही नहीं है। अलवर जिले में रामगढ़, कठूमर, बानसूर, मालाखेड़ा, रैणी और थानागाजी में नया औद्योगिक क्षेत्र बसाने की कवायद शुरू हो गई है। लेकिन एनसीआर से एनओसी नहीं मिलने से इसका काम आगे नहीं शुरू हो रहा है।

अलवर जिले का औद्योगिक स्वरूप-

अलवर जिले में 31 औद्योगिक क्षेत्र हैं। इसमें 15 हजार 304 एकड़ क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयां लगी हुई है। इसमें करीब 8615 भूखंड विकसित किए गए हैं तथा इनमें से 7985 भूखंड आवंटित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही 6 नए औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित करने का काम चल रहा है। अलवर जिले में डीएमआईसी के तहत ग्रेटर भिवाड़ी टाउनशिप विकसित की जा रही है। इसके तहत 165 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को खुशखेड़ा, भिवाड़ी और नीमराणा औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया है।

लघु उद्योगों से मिलता है रोजगार और राजस्व-

अलवर जिला एमएसएमइ (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों) का हब है। जिला उद्योग केंद्र के अनुसार जिले में एमएसएमइ के तहत करीब 20 हजार से अधिक लघु उद्योग संचालित हैं जो 6 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहे हैं।

अलवर जिले में मुख्यत तेल मिल, खाद्य पदार्थ, खनिज, ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक, रसायन आदि उद्योग संचालित हैं।

एमएसएमइ की योजनाओं से स्टार्टअप शुरू करने के अवसर

एमएसएमइ के तहत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के माध्यम से स्टार्टअप शुरू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना में 10 करोड़ तक का ऋण ले सकते हैं। इसमें 8 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इसी तरह प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 15 लाख तक के ऋण पर भी श्रेणीवार 35, 25 और 15 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जा रही है।