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जानिए क्या वजह है कि अलवर का बाला किला पिछले दो साल है बंद, लौट रहे हैं पर्यटक

locationअलवरPublished: May 28, 2023 12:18:45 pm

Submitted by:

Jyoti Sharma

टॉयलेट बनाने के लिए पर्यटकों का रोका प्रवेश, वापस लौट रहे हैे पर्यटक
अलवर. शहर के ऐतिहासिक बाला किला में पिछले दो साल से ज्यादा समय से मरम्मत एवं निर्माण कार्य चल रहा है। इसके चलते यहां पर्यटकों का प्रवेश पूरी तरह से बंद है। खास बात यह है कि यहां काम दो माह पहले पूरा हो चुका है लेकिन इसके बाद भी इसे पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है।

जानिए क्या वजह है कि अलवर का बाला किला पिछले दो साल है बंद, लौट रहे हैं पर्यटक

जानिए क्या वजह है कि अलवर का बाला किला पिछले दो साल है बंद, लौट रहे हैं पर्यटक

यहां बनने वाले टॉयलेट के लिए अभी भी पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगाई हुई है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं। उन्हें बिना किला देखे ही लौटना पड़ रहा है। अलवर का बाला किला इतिहास में कुंवारा किला के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं ठेकेदार ने समय पर काम नहीं किया तो विभाग ने टेंडर बढ़ा दिया।
टिकिट लगने पर हो सकती है दस लाख की आय
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की राज्य में अन्य ऐतिहासिक इमारतों व स्मारकों आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला, हवा महल आदि शामिल है। बाला किला में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के चलते यहां पर प्रवेश शुल्क लिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। बाला किला पर टिकिट लगने के बाद यहां दस लाख रुपए तक की आय होगी।
2021 से चल रहा है बाला किला में काम
अलवर के बाला किला पर जून 2021 में मरम्मत एवं निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जिसके लिए सरकार की ओर से करीब 3 करोड़ का बजट जारी किया गया था। यह काम दिसंबर 2022 में पूरा होना था। लेकिन समय पर काम नहीं होने पर ठेकेदार का टेंडर दो माह के लिए बढ़ा दिया गया। इसके बाद फरवरी 2023 में बाला किला पर्यटकों के लिए खोला जाना था लेकिन इस माह भी काम पूरा नहीं हुआ और टेंडर फिर से बढ़ा दिया गया। इस साल मई माह तक ना तो यहां ही पूरा हुआ है और ना ही पर्यटकों को प्रवेश दिया जा रहा है।

बाला किला में काम लगभग पुरा हो चुका है लेकिन यहां पर पर्यटकों के लिए टॉयलेट बनाया जा रहा है, पानी की सुविधा भी की जा रही है इसलिए प्रवेश फिलहाल बंद है। ठेकेदार ने समय पर काम नहीं किया तो टेंडर बढ़ा दिया गया है। मुख्यालय स्तर पर ही होता है। टेंडर भी मुख्यालय से निकाला जाता है। प्रवेश शुल्क का प्रस्ताव पूर्व में भेजा हुआ है।
नीरज त्रिपाठी, जयपुर वृत अधीक्षक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, अलवर।

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