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मार्बल मण्डी खटाई में, जमीन अवाप्ति का पैसा जमा नहीं

2007 से चली आर रही मांग, जमीन अवार्ड भी पास हो चुका  

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मार्बल मण्डी खटाई में, जमीन अवाप्ति का पैसा जमा नहीं

मार्बल मण्डी खटाई में, जमीन अवाप्ति का पैसा जमा नहीं

अलवर
शहर में तूलेड़ा के निकट अलग से कातला पट्टी एवं मार्बल मण्डी विकसित करने की यूआईटी की योजना फिर से कछुआ चाल पर है। जमीन अवाप्ति के तहत अवार्ड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मामला फिर से ढीला पड़ गया है। अवार्ड राशि न्यायालय में जमा के बाद ही जमीन पर यूआईअी अपना कब्जा लेकर मार्बल व कातला पट्टी व्यापारियों को रियायती दरों पर जमीन आवंटित कर सकेगी। लेकिन, अवार्ड राशि जमा नहीं कराई जा रही है।

10.74 हैक्टेयर भूमि विकसित करने की योजना

वर्ष 2007 में मार्बल व्यापारियों ने यूआईटी से मार्बल दुकानो ंके बिखरे बाजार को एक जगह ले जाने की मांग शुरू की। इसके बाद 2013 में तूलेड़ा के निकट मंदिर माफी की जमीन पर मार्बल मण्डी बनाने की योजना आगे बढ़ी। करीब 10.74 हैक्टयेयर जमीन चिह्नित हो गई। अवाप्ति की प्रक्रिया के तहत अवार्ड जारी हो गया। अब यूआईटी को अवार्ड का करीब 22 करोड़ रुपए जमा कराना है। फिर मार्बल व कातला व्यापारियों को रियायती दरों पर नइ मण्डी में जमीन आवंटित की जाएंगी।
एक जगह होगा व्यापार

मार्बल मण्डी विकसित करने से व्यापारियों के साथ आमजन को भी सहूलियत मिलेगी। पूरा बाजार एक जगह जाने से मार्बल खरीददारों को आसानी होगी। इधर, व्यापारी जो सार्वजनिक जमीनों पर दुकान चला रहे हैं, उनको खुद की जमीन मिल जाएगी। रियायती दर से जमीन मिलने से व्यापारियों पर भी अधिक बोझ नहीं आएगा। इसके अलावा शहर में रेलवे लाइन के पास की सड़क और खुली नजर आएगी। वाहनों की आवाजाही आसान हो जाएगी।
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कई बार मिल चुके
यूआईटी के अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं। व्यापारियों की सूची भी दी गई है। अब यूआईटी जमीन अवाप्ति के बदले राशि जमा कराने में विलम्ब कर रही है। जिससे पूरी योजना सुस्त होने लगी है।

सुरेश गुप्ता, समिति प्रमुख व मार्बल व्यापारी