8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

घायल रकबर को थाने लाकर कागजी कार्रवाई करती रही पुलिस, उधर रकबर की मौत हो गई

अलवर पुलिस लिखत-पढ़त में व्यस्त रही और रकबर की मौत हो गई।

2 min read
Google source verification

अलवर

image

Prem Pathak

Jul 23, 2018

Alwar mob lynching : Police bring rakbar khan to police station

घायल रकबर को थाने लाकर कागजी कार्रवाई करती रही पुलिस, उधर रकबर की मौत हो गई

अलवर. ललावंडी में गंभीर घायल मिले युवक रकबर को अस्पताल में भर्ती कराने से पहले पुलिस ने कागजी कार्रवाई करना ज्यादा जरूरी समझा। पुलिस रकबर को रात करीब एक बजे थाने ले आई और उसके बाद लिखत-पढ़त में जुट गई। करीब तीन घंटे से तक पुलिस ने घायल रकबर को अस्पताल में भर्ती करने तक की सुध नहीं ली। पुलिस सुबह चार बजे उसे अस्पताल लेकर पहुंची, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों उसे मृत घोषित कर दिया।

इस बात को रामगढ़ थाने के एएसआई मोहनसिंह ने भी स्वीकारा है। उनका कहना है कि थाने पर लिखत-पढ़त में ज्यादा समय लग गया था इसलिए रकबर को अस्पताल में देरी से भर्ती कराया गया, लेकिन उन्होंने रकबर के साथ पुलिस द्वारा मारपीट करने की बात से इनकार किया है। फिर भी पूरे घटनाक्रम को बारीकी से देखें तो कई ऐसे सवाल उठ रहे हैं जो पुलिस की कार्रवाई को संदेह के घेरे में खड़ा कर रहा है। वहीं, पुलिस अधिकारियों से भी संदेह भरे सवालों का स्पष्ट जबाव देते नहीं बन रहा है। पुलिस अधिकारी सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं।

गौरतलब है कि शुक्रवार रात ललावंडी में गोतस्करों के आने की पुलिस को मिली प्रथम सूचना व रामगढ़ के डॉक्टर के पास घायल रकबर को ले जाने में करीब तीन घंटे का अन्तर था। इस अन्तर ने पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए थे। सबसे बड़ा सवाल ये था कि यदि रकबर घायल था और पुलिस के सामने ही बेहोश हो गया था, तो पुलिस उसे सीधे अस्पताल क्यों नहीं लाई? इस बात का जवाब देने से शनिवार को पुलिस अधिकारी बचते रहे। दरअसल, उनके कुछ कहते ही यह मामला पुलिस कस्टडी में मौत में तब्दील हो जाता। हालांकि रविवार को जिला पुलिस अधीक्षक ने इसकी भी जांच के आदेश दिए।

लेकिन शाम को पत्रिका से बातचीत में खुद एएसआई ने स्वीकार लिया कि रकबर को अस्पताल से पहले थाने लाया गया था। गौरतलब है कि रकबर की मौत को लेकर पत्रिका ने पूर्व में ही संदेह जताया था। इस संदर्भ मेें रविवार के अंक में ‘क्या हुआ रकबर के साथ’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर पुलिस की बताई घटना पर संदेह भी जताया था।