अटल बिहारी वाजपेयी, महेन्द्र सिंह धोनी व कई फिल्मी सितारों की मेजबानी कर चुका है प्रसिद्ध बहरोड़ मिडवे, आज अपने ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा
बहरोड़. आरटीडीसी के सावन भादो बहरोड़ मिडवे को एक साल पहले सरकार ने घाटे में बताते हुए राज्य की अन्य 15 ईकाइयों के साथ गत वर्ष बंद कर दिया था। जिसका क्षेत्र के लोगों ने भी विरोध किया था पर कोई असर नहीं हुआ। चुनावों से पहले निगम ने इसको चालू करने के लिए निरीक्षण कर सर्वे भी किया था, परन्तु कुछ नहीं हुआ। अब नई सरकार आने से आमजन और कर्मचारियों में दुबारा मिडवे शुरू होने की आस जगी है। मिडवे शुरू होने से देशी और विदेशी पर्यटकों को सुविधाएं मिलने के साथ बहरोड़ की भी फिर से पहचान बन सकेगी।
कभी राष्ट्रअध्यक्षों की मेजबानी करता था मिडवे पर देश और विदेश के वीवीआईपी लोगों का ठहराव हो चुका है। देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई अपना जन्मदिन यहां मना चुके हैं। देश के उपराष्ट्रपति केंद्रीय मंत्री व अन्य उच्चपदस्थ पदाधिकारी यह ठहराव कर चुके हैं। अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष व फिल्मी सितारे जिसमें जितेंद्र, जयाप्रदा, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र, शक्ति कपूर, राज बब्बर आदि यहां ठहर चुके हैं। क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी, आशीष नेहरा सहित अन्य खिलाड़ी भी यहां पार्टी मना चुके हैं।
गलत निर्णय पड़े भारी यहां बिना सोचे समझे निर्णय कर बदलाव कर डाले जो पर्यटकों के लिए ठीक नहीं थे। मिडवे पर बिना सोचे समझे किए गए निर्णयों से रोडवेज बसों का ठहराव बंद हो गया, अन्य सुविधाओं के काउंटर बंद हुए, शौचालय को दूरी पर बनाया गया। ये निर्णय इतने भारी पड़े कि अन्त में ताला लगा दिया। कर्मचारियों व सामान को अन्य होटलों में भेज दिया गया। मिडवे बंद होने से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर आवागमन करने वाले पर्यटक व रोडवेज वोल्वो के यात्री निजी होटलों में ठहरने को मजबूर हैं। निजी होटलों में इन्हें खाद्य पदार्थों की मंहगी कीमत चुकानी पड़ रही है।
भवन व उपकरण हो रहे बेकार कभी पर्यटकों की रौनक से गुलजार रहने वाला मिडवे अब जर्जर हो गया है। भवन व अन्य उपकरण बेकार हो रहे हंै। पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हंै। रंग-रोगन व लान खराब हो रहा है।
देश और विदेश में रहा प्रसिद्ध आरटीडीसी का मिडवे 41 साल पहले 10 जनवरी 1977 को शुरू हुआ था। उस समय दिल्ली से जयपुर के मध्य हाइवे पर देशी-विदेशी पर्यटकों का यह एक मात्र ठिकाना हुआ करता था। जहां पर पर्यटक ठहर कर विश्राम के साथ कई तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। देखते ही देखते प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई थी कि दिल्ली जयपुर जाने वाले पर्यटक व यात्री यहां बगैर रुके नहीं जा पाते थे। उस वक्त यहां रोजाना लगभग 5 हजार पर्यटक आते थे। धीरे-धीरे व्यवस्थाओं का विस्तार हुआ और पर्यटकों की संख्या बढकऱ 10 से 15 हो गई। रोज की आय 3 लाख से अधिक होने लगी।
गलत निर्णय पड़े भारी यहां बिना सोचे समझे निर्णय कर बदलाव कर डाले जो पर्यटकों के लिए ठीक नहीं थे। मिडवे पर बिना सोचे समझे किए गए निर्णयों से रोडवेज बसों का ठहराव बंद हो गया, अन्य सुविधाओं के काउंटर बंद हुए, शौचालय को दूरी पर बनाया गया। ये निर्णय इतने भारी पड़े कि अन्त में ताला लगा दिया। कर्मचारियों व सामान को अन्य होटलों में भेज दिया गया। मिडवे बंद होने से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर आवागमन करने वाले पर्यटक व रोडवेज वोल्वो के यात्री निजी होटलों में ठहरने को मजबूर हैं। निजी होटलों में इन्हें खाद्य पदार्थों की मंहगी कीमत चुकानी पड़ रही है।
भवन व उपकरण हो रहे बेकार कभी पर्यटकों की रौनक से गुलजार रहने वाला मिडवे अब जर्जर हो गया है। भवन व अन्य उपकरण बेकार हो रहे हंै। पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हंै। रंग-रोगन व लान खराब हो रहा है।
बहरोड़ की शान मिडवे को फिर से शुरू करवाने के लिए पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह से मिले हैं और जल्द ही दुबारा मिलकर तथ्यों के साथ बात कर शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे। -बलजीत यादव विधायक बहरोड़
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