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थानागाजी गैंग रेप केस में हुआ बड़ा खुलासा, पुलिस की इस बड़ी लापरवाही के कारण वायरल हुआ वीडियो

Thanagazi Gang Rape Case की Video लापरवाही के कारण वायरल हुई

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अलवर

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Hiren Joshi

May 13, 2019

Big Exposure Of Police Negligence In Thanagazi Gang Rape Case

थानागाजी गैंग रेप केस में हुआ बड़ा खुलासा, पुलिस की इस बड़ी लापरवाही के कारण वायरल हुआ वीडियो

अलवर. थानागाजी गैंगरेप मामले ( Thanagazi Gang Rape ) में पुलिस की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम रामचरण शर्मा ने गत 30 अप्रेल को ही जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर मामले में नियमानुसार कार्रवाई की अभिशंसा की थी। यदि प्रशासन की ओर से भेजे गए पत्र पर पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर लेती तो घटना का वीडियो वायरल होने से बच जाता।

थानागाजी गैंगरेप मामले में पीडि़त पक्ष गत 30 अप्रेल को पुलिस अधीक्षक के अलावा अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम से भी मिला और मामले को लेकर परिवेदना दी। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम ने पीडि़त की परिवेदना के साथ जिला प्रशासन की ओर से मामले में नियमानुसार कार्रवाई के लिए पत्र तैयार कर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कर्मचारी के साथ भिजवाया। इस दिन ही पीडि़त पक्ष अपनी परिवेदना को लेकर पुलिस अधीक्षक से भी मिला। जिला प्रशासन की अभिशंसा के बाद भी मामले की पुलिस में तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। इस घटना की गत 2 मई को थानागाजी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज हो पाई।

पीडि़त पक्ष के एडीएम कार्यालय पहुंचने के दौरान जिला कलक्टर लोकसभा चुनाव की तैयारियों के चलते कार्यालय में मौजूद नहीं थे। उधर, एडीएम प्रथम रामचरण शर्मा का कहना है कि पीडि़त पक्ष 30 अप्रेल को कार्यालय में आया था। उनकी परिवेदना के साथ नियमानुसार कार्रवाई करने का पत्र लगाकर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय भिजवाया गया था। जिला प्रशासन की ओर से भेजे गए पत्र पर पुलिस की ओर से तत्काल एफआईआर और कार्रवाई दर्ज होती तो संभवत: घटना का वीडियो वायरल होने से बच जाता। वहीं, आरोपी की गिरफ्तारी में देरी से भी बचा जा सकता था। घटना का वीडियो वायरल होने से पीडि़त पक्ष को मानसिक वेदना झेलनी पड़ी। वहीं आरोपियों की गिरफ्तारी में भी
देरी हुई।

एससी आयोग भी मान चुका पुलिस की लापरवाही

राष्ट्रीय एससी आयोग के उपाध्यक्ष एल मुरुगन ने पिछले दिनों थानागाजी में पीडि़त परिवार से मिलने और घटना का फीडबैक जुटाने के बाद पुलिस की लापरवाही को गंभीरता से लिया था। आयोग के उपाध्यक्ष ने माना था कि मामले की एफआईआर दर्ज होने में देरी हुई। वहीं आरोपियों की गिरफ्तारी भी घटना व एफआईआर दर्ज होने के कई दिन बाद 7, 8 व 9 मई को हो पाई।