
अलवर. पर्यटन का जिक्र आते ही अलवर जिले का नाम लोगों के जेहन में तैरने लगता है। इसका कारण भी जायज है, क्योंकि अलवर को 52 किलो वाला जिला कहा जाता है और हर चुनाव में जिले को पर्यटन हब बनाने के जुमले लोगों को परोसे जाते हैं, लेकिन देश व राज्य की राजधानी के बीच स्थित अलवर जिले के पर्यटन स्थलों की सुध लेने का ख्याल कभी नहीं आया। यही कारण है कि पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण होने के बावजूद यहां अलवर जिला देश के पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता से नहीं उभर सका है।
अलवर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अरावली की पहाडियां, हरे भरे वन, रॉक क्लाइमिंग, झील, सागर, पक्षी सभी कुछ है। यहां 52 किले एवं प्राचीन प्रासाद, पुरानी हवेलियां और कई अन्य पर्यटन स्थल हैं, लेकिन रखरखाव एवं विकास के अभाव में इन पर्यटन स्थलों की देश-दुनियां तक मार्केटिंग होना तो दूर, अभी जिले में ही लोगों तक पूरी तरह पहुंच नहीं बना सके हैं।
पुरातत्व एवं संरक्षित स्मारक
1. सिटी पैलेस , बाला किला, मुंशी महारानी की छतरी, त्रिपोलिया, फतेहजंग गुंबद, राजगढ़ का किला, बडगुर्जरों के प्राचीन प्रसाद , खानजादों की कब्र, इंदौर का किला, भर्तृहरि गुंबद ।
औद्योगिक नगरी का नहीं मिला लाभ
देश में अलवर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में यहां पर नीमराणा में जापानी जोन है, जिसमें प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में जापानी आते हैं। भिवाड़ी में देशी विदेश कंपनियां बनी हुई है। जिसमें देश विदेश से लोग आते हैं लेकिन इसका फायदा पर्यटन व्यवसाय को नहीं मिला है। भिवाड़ी में एयरपोर्ट प्रस्तावित है जो कि कोटकासिम में बनने की संभावना है। यदि यह बन जाता है तो अलवर में पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है।
सिलीसेढ़ व सरिस्का तक सिमटे पर्यटक
लेकिन इसके बाद भी अलवर में पर्यटक सरिस्का व सिलीसेढ़ तक ही सिमट कर रह गए हैं। ये स्थान इतने सुंदर है कि अनेक फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है। जिले में धार्मिक स्थलों के अलावा अनेक धार्मिक स्थल भर्तृहरि, पांडूपोल , तालवृक्ष, नीलकंठ, तिजारा का जैन मंदिर आदि शामिल है। लेकिन इन स्थलों का महत्व केवल स्थानीय लोगों के लिए ही है। पर्यटन विभाग व पुरातत्व विभाग की ओर से प्रचार प्रसार नहीं किए जाने के कारण यहां पर देशी विदेशी पर्यटकों की संख्या नगण्य है। राज्य सरकार का ध्यान केवल शहरी क्षेत्र में स्थित पर्यटक स्थलों को विकसित करने पर ही रहा है। इसके चलते मूसी महारानी की छतरी, सागर एवं फतेहजंग गुंबद पर 187 लाख रुपए के विकास कार्य पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने करवाए।
Published on:
12 Dec 2017 11:54 am
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