23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मरीजाें के जख्मों पर कैसे लगे दवा, रूई व पट्टी तक नहीं

राज्य सरकार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का ढिंढ़ोरा तो पीट रही है, लेकिन आयुर्वेद चिकित्सालयों के हाल खराब पड़े हैं। अलवर में हालत यह है कि निशुल्क दवाएं तो दूर आयुर्वेद चिकित्सालयों और औषधालयों में पिछले 3 साल से रूई और पट्टी तक उपलब्ध नहीं है।

2 min read
Google source verification

अलवर

image

Umesh Sharma

Sep 18, 2024

अलवर.

राज्य सरकार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का ढिंढ़ोरा तो पीट रही है, लेकिन आयुर्वेद चिकित्सालयों के हाल खराब पड़े हैं। अलवर में हालत यह है कि निशुल्क दवाएं तो दूर आयुर्वेद चिकित्सालयों और औषधालयों में पिछले 3 साल से रूई और पट्टी तक उपलब्ध नहीं है। पिछले महीने सप्लाई में प्रत्येक औषधालय को 2-2 शीशी टिंचर (जख्म पर लगाने की दवा) तो उपलब्ध कराई है, लेकिन रूई और पट्टी के अभाव में दवा का कोई उपयोग नहीं हो पाया है। ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सा संस्थानों पर उपचार के लिए आने वाले मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है।

औषधालयों में दवाओं का भी टोटा

आयुर्वेद चिकित्सालय और औषधालयों में भरतपुर रसायनशाला से साल में दो बार दवाओं की सप्लाई होती है। इसमें भी कुछ सामान्य बीमारियों की आधी-अधूरी दवाएं ही उपलब्ध कराई जाती है। खास बात यह भी है कि दवा खत्म होने के बाद फिर ऑन डिमांड भी खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थिति यह है कि आयुर्वेद जिला चिकित्सालय तक में खांसी-जुकाम, बुखार, पीलिया, जोड़ों के दर्द का काढ़ा, खुजली, दस्त और फोड़े-फुंसी की कुछ दवाएं ही उपलब्ध हैं। वह भी पिछले महीने की सप्लाई में आई थी। जब शहर में यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें:-सरिस्का में बाघों पर ध्यान मगर पैंथर दरकिनार, आज तक न कोई सर्वे न कोई शोध

आयुर्वेद के 229 चिकित्सा संस्थान

जिला स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर जिले में कुल 229 आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान संचालित हैं। इसमें एक जिला चिकित्सालय व 7 ए श्रेणी चिकित्सालय शामिल हैं। इसके साथ ही 8 ब्लॉक चिकित्सालय, एक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय, 177 चिकित्सालय और 36 सीएचसी व पीएचसी पर आयुर्वेद औषधालय स्थापित है। इनमें से 96 औषधालयों नाम सरकार ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर किया है। इससे औषधालयों की आधारभूत संरचना में तो कुछ सुधार हुआ है, लेकिन मौसम के अनुसार दवाओं की सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है।