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क्रशर खा रहे हर घण्टे में 10 हजार टन पत्थर, वैध-अवैध का हिसाब नहीं

जिले भर में 50 से अधिक क्रशर, एक क्रशर कम से कम 200 टन प्रति घण्टा से पत्थर पिसकर रोडी बनाने में समक्ष, 500 टन पत्थर प्रति घण्टा क्षमता वाले क्रशर भी लगे

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क्रशर खा रहे हर घण्टे में 10 हजार टन पत्थर, वैध-अवैध का हिसाब नहीं

क्रशर खा रहे हर घण्टे में 10 हजार टन पत्थर, वैध-अवैध का हिसाब नहीं

अलवर.

जिले में अरावली की पहाडिय़ां बेहिसाब छलनी होने लगी है। वैध-अवैध पत्थर का कोई हिसाब नहीं है। अवैध खनन ही नहीं वैध लीजों के दायरे से बाहर भी पहाडिय़ों को धराशायी करने की होड़ मची है। अकेले अलवर जिले में 50 से अधिक क्रशरों पर प्रति घण्टे करीब 10 हजार टन पत्थरों को पीसकर रोडिय़ों में तब्दील किया जाता है। यह आंकड़ा क्रशरों की क्षमता पर आधारित है। जिले में 200 टन से 500 टन प्रति घण्टे की क्षमता वाले क्रशर प्लांट हैं। जिनमें एक घण्टे में 10 हजार टन से अधिक पत्थर को रोडी-चूरा बना दिया जाता है।

अवैध खनन से चल रहे क्रशर

खनन माफिया पर्यावरण को तो उजाड़ ही रहा है बल्कि सरकार को भी दो तरह से चूना लगाता है। वैध लीज से रायल्टी आधारित पत्थर आता है। लेकिन, अवैध खनन का पत्थर बिना रायल्टी के कुछ क्रशर पर तो कुछ सीधा बाहर सप्लाई हो जाता है। वैसे तो जगह-जगह विभाग के नाके हैं लेकिन, दिन-रात काम चलता है तो चोरी-छिपे माल खूब सप्लाई होता है। जिस पर न टैक्स देना पड़ता न रायल्टी। कुछ जगहों पर क्रशर प्लांट व खनन माफिया का भी गठजोड़ है। यही नहीं मॉनिटरिंग करने वाले विभाग व ठेका कम्पनी के प्रतिनिधियों की आंखों में भी खूब धूल झौंकी जाती है।

वैध लीज से महंगी पड़ती है रोडी

जानकारों का कहना है कि वैध लीज से पत्थर लेकर रोड़ी बनाना क्रशर प्लांट संचालकों के लिए महंगा पड़ता है। बिना रायलटी का अवैध खनन का पत्थर सस्ता पड़ता है लेकिन, प्लांट संचालकों को रोड़ी की खपत में भी खेल करना पड़ता है। जितना उत्पादन होता उससे कम दिखाकर ही सरकार को जीएसटी व रायल्टी का चूना लगाया जा सकता है। यह तभी संभव है जब अवैध खनन का पत्थर आने से लेकर रोडी बनाने के बाद सप्लाई भी बिना रिकॉर्ड हो। इसी आधार पर अलवर जिले में अवैध खनन फल-फूल रहा है।

मोटा नुकसान चिनाइ पत्थर से

जिले भर में ज्यादातर चिनाइ पत्थर अवैध खनन से पहुंचता है। पत्थर सप्लाई करने वाला माफिया आम ग्राहक को यही समझाता है कि वैध लीज का पत्थर काफी महंगा पड़ेगा। अवैध खनन का पत्थर सस्ता पहुंचता है। अवैध खनन का पत्थर सब कच्चे रास्तों से होते हुए पहुंचता है। अधिकतर सप्लाइ रात के समय होने लगी है।

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निगरानी कर कार्रवाई

वैसे तो अवैध खनन पर कार्रवाई होती है लेकिन, चोरी छिपे माल क्रशर पर पहुंचने की शिकायत मिलने पर जांच कराते हैं। अब ऐसा अधिक हुआ है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

केसी गोयल, एमइ, खनन विभाग अलवर