जयसमंद की पाल भी होने लगी खराब अलवर. शहर के पर्यटक स्थल जयसमंद झील के किनारे बना विरासतकालीन गेस्ट हाउस कभी पर्यटकों से गुलजार रहता था, बारिश में जब झील में पानी आता था तो पर्यटक यहां बैठकर झील का नजारा देखा करते थे लेकिन अब यह गेस्ट हाउस अब पहचान को तरस रहा है। […]
जयसमंद की पाल भी होने लगी खराब
अलवर. शहर के पर्यटक स्थल जयसमंद झील के किनारे बना विरासतकालीन गेस्ट हाउस कभी पर्यटकों से गुलजार रहता था, बारिश में जब झील में पानी आता था तो पर्यटक यहां बैठकर झील का नजारा देखा करते थे लेकिन अब यह गेस्ट हाउस अब पहचान को तरस रहा है।
2023 में हुआ था लाखों का काम, दो साल भी नहीं चल पाया
पूर्व जिला कलक्टर जितेंद्र सोनी ने इस भवन और यहां बनी पाल पर करीब 75 लाख रुपए से अधिक की लागत से काम करवाया था लेकिन उनके जाने के बाद इस पर किसी का ध्यान नहीं है। इसके दरवाजे व खिड़कियां तोड़ दिए गए हैं, दीवारों पर अभद्र भाषा लिखकर इसकी सूरत को बिगाड़ दिया गया है, इतना ही नहीं सर्दियों में कमरों के अंदर लकड़ी जलाकर अलाव भी तापा जाता है , कमरों की काली दीवारें इस बात का सबूत है। गेस्ट हाउस तक जाने वाली पाल पर भी रंग रोगन व पौधे लगाकर इसको सुंदर बनाया गया था लेकिन अब यहां पाल पर लगे गमले तक नहीं बचे हैं, पाल पर जंगली पौधे लगने से जंगल का नजारा लगने लगा है। जगह जगग पर बारिश का पानी भर गया है।
अब शाम होते ही शराब पार्टी
वर्तमान में यह सिंचाई विभाग के अधीन है, लेकिन बावजूद इसकी कोई देखभाल नहीं हो रही है इसके चलते यह गेस्ट हाउस असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। विभाग की ओर से यहां पर एक कर्मचारी लगाया गया था वह भी हटा लिया गया है। ऐसे में अब यह भवन खाली रहता है और सुनसान होने के कारण यहां शाम होते ही असामाजिक तत्वों की ओर से शराब पार्टी होती है।
यहां होते थे वीआईपी आयोजन, अब पहचान को भी मोहताज
इतिहासकार हरिशंकर गोयल बताते हैं कि अलवर के जयसमंद पर 1975 में गेस्ट हाउस बनाया था, 1977 में इसको काम में लिया जाने लगा। तत्कालीन मिनिस्टर संपतराम भी इसमें ठहरे थे, अलवर निवासी चीफ जस्टिस कल्याण सिंह जब राज्यपाल बने थे तो उनका समारोह भी इसी में आयोजित किया गया था। इसके साथ ही अलवर बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष हरिनारायण शर्मा के जीतने के बाद भी यहां पर स्वागत समारोह आयोजित किया गया था। लेकिन उस समय जयसमंद में पानी था्, अब पानी नहीं होने से गेस्ट हाउस का उपयोग भी कम हो गया। इसलिए कोई ध्यान नहीं दे रहा।