यह पक्षी यूरोप और एशिया से सर्दी के मौसम में अफ्रीका के दक्षिण इलाकों में जाते हैं। इसी यात्रा के दौरान ये रास्ते में भोजन के लिए रुकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तारों को देखकर, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सूर्य की स्थिति या फिर दिमाग के नक्शे से अपना प्रवास करते हैं। थानागाजी भी इसके प्रवास के रास्ते में पड़ता है। इस कारण इसे देखना गौरवशाली है। उन्हें थानागाजी के टोडी जोधावास के खेतों में यूरेशियन रोलर-कश्मीरी नीलकंठ प्रवासी पक्षी दिखाई दिए है। उन्होंने बताया कि इसकी आवाज कुछ-कुछ कौवे जैसी होती है।
इसका वैज्ञानिक नाम कोरेसियसगेरूलस है। इसका प्रजनन क्षेत्र यूरोप और एशिया के कुछ भागों में है। यूरोपियन रोलर चमकीले रंग के पंखों, अत्यधिक कलाबाज़ीउड़ान शैलियों और कौवे जैसी कर्कश आवाज़ों के लिए जानी जाती है। वे लंबे समय तक पेड़ की शाखाओं या तारों पर बैठकर शिकार ढूंढते हैं। सैनी ने बताया इन पक्षियों का प्रवास लगभग नवंबर तक अफ्रीका में चलता रहेगा। ये वहां अप्रैल-मई तक रुककर पुन: अपने प्रजनन क्षेत्रों की ओर लौटेंगे।