अलवर

भारत-चीन युद्ध में महाराजा भर्तृहरि नाटक बना मददगार

भारत-चीन युद्ध में महाराजा भर्तृहरि नाटक बना मददगार

अलवरOct 13, 2019 / 01:20 am

Kailash

भारत-चीन युद्ध में महाराजा भर्तृहरि नाटक बना मददगार


अलवर. शहर में हर साल मंचित महाराजा भर्तृहरि का नाटक अलवरवासियों के लिए गौरव का विषय है। राजर्षि अभय समाज में १० अक्टूबर से प्रतिदिन रात ९.३० बजे से महाराजा भर्तृहरि नाटक का प्रदर्शन किया जा रहा है। जो कि अगले दिन सुबह ५ बजे तक चलता है। नाटक को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शक यहां आ रहे हैं।
१९५८ में हुआ था पहला मंचन
श्री राजर्षि अभय समाज संस्था की ओर से १९५८ में पारसी रंगमंच शैली में इस नाटक का पहली बार मंचन किया था। नाटक से प्राप्त आय केवल संस्था के काम ही नहीं आती है बल्कि समय- समय पर आने वाले राष्ट्रीय व प्राकृतिक आपदाओं में भी इस आय से सरकार की मदद की जाती रही है। सन १९६२ में भारत चीन युद्ध के दौरान जब देश में आर्थिक संकट पैदा हो गया था, उस दौरान जब देश का हर व्यक्ति सरकार की मदद कर रहा था, एेसे में संस्था ने भी महाराजा भर्तृहरि नाटक के प्रदर्शन की अवधि को बढाया और इससे प्राप्त होने वाली आय को सरकार को भेजा।
गुजरात में भी भेजी सहायता
इधर, गुजरात में आए भूकंप के दौरान भी राजर्षि अभय समाज ने कलाकारों के प्रदर्शन से प्राप्त होने वाली राशि में से कुछ राशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराई गई। महामंत्री ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि उन दिनों सरकार की आर्थिक स्थिति खराब थी, सरकार की ओर से बकायदा मदद के लिए लोगों से अपील की गई थी। इसके लिए शहर में रिक्शा घुमाया, गरीब से गरीब जनता ने भी आर्थिक मदद की। स्कूलों में बच्चों ने पांच- पांच रुपए जमा
करवाए थे।
जयपुर में किया महाराजा भर्तृहरि नाटक का प्रदर्शन
राजर्षि अभय समाज के महामंत्री महेश चंद शर्मा ने बताया कि युद्ध के दिनों में महाराजा भर्तृहरि नाटक का तीन दिन का प्रदर्शन किशनगढ़बास में किया गया और इसके बाद जयपुर में दस दिन तक लगातार इस नाटक का मंचन किया गया। जिससे बहुत आय हुई। इस आय में से कलाकारों का खर्च निकालकर शेष बची समस्त राशि को राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करवा दिया। इस नाटक में एेसे भी कलाकार कार्यरत थे जो कि सरकारी सेवा में थे। सरकार ने उन्हें नाटक में प्रदर्शन के लिए विशेष अवकाश दिया।
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