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धान की मंडियों में पहुंचा नया बाजरा, किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य का ‘आसरा’

राजस्थान सहित पड़ोसी राज्य हरियाणा में खरीफ की मुख्य फसल बाजरा अब खेतों से कटाई व निकलाई के बाद घरों व मंडियों में पहुंचने लगा है, पर किसानों के सामने दुविधा यह है कि फिलहाल सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर इसकी दोनों ही राज्यों में खरीद की शुरुआत नहीं की जा रही है। ऐसे में किसान मंडियों में ओने-पौने दामों में बेचने को मजबूर है।      

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बाजरा खरीद

धारूहेड़ा. मंडी में बाजरा खरीद के लिए बोली लगाते व्यापारी।

भिवाड़ी. राजस्थान सहित पड़ोसी राज्य हरियाणा में खरीफ की मुख्य फसल बाजरा अब खेतों से कटाई व निकलाई के बाद घरों व मंडियों में पहुंचने लगा है, पर किसानों के सामने दुविधा यह है कि फिलहाल सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर इसकी दोनों ही राज्यों में खरीद की शुरुआत नहीं की जा रही है। ऐसे में किसान मंडियों में ओने-पौने दामों में बेचने को मजबूर है।
पड़ोसी राज्य हरियाणा में बाजरा की समर्थन मूल्य पर खरीद 2350 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है, लेकिन वहां अभी तक सरकारी की तरफ से बाजरे की सरकारी खरीद शुरू नहीं की है। इसके चलते धारूहेड़ा, रेवाड़ी आदि क्षेत्र के किसानों को सस्ते दामों में व्यापारियों को बाजरा बेचना पड़ रहा है। बाजरे की आवक मंडियों में शुरू हो चुकी है। सुबह से शाम मंडी में किसानों की भीड़ लगी रहती है। समर्थन मूल्य पर खरीद के अभाव में नया बाजरा मंडियों में बेचा जा रहा है।


खरीद के लिए एजेंसी नहीं निर्धारित
हरियाणा के खाद्य आपूर्ति विभाग के अनुसार कौन सी सरकारी एजेंसी बाजरे की खरीद करेगी, इसके लिए एजेंसी निर्धारित नहीं हुई है। सितंबर के तीसरे सप्ताह तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। रेवाड़ी जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अनुसार 2350 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में किसानों से बाजरा की खरीद की जानी है। इन दिनों यहां अनाज मंडी में खुली बोली लगाकर 1900 से 1940 रुपए प्रति क्विंटल बाजरे की खरीद की जा रही है। ऐसे में समर्थन मूल्य से 400 से 450 रुपए प्रति क्विंटल का किसानों को नुकसान हो रहा है। साथ में मंडियों तक बाजरे की लदान कर ले जाने, पल्लेदारी, आड़त आदि का खर्चा अलग है।