
प्रदेश में पंचायती राज विभाग के अधीन आने वाले 3236 छोटे-बड़े बांध और तालाबों को अब फिर से जल संसाधन विभाग संभालेगा। पंचायती राज विभाग को वर्ष 2003 में ये बांध सौंपे गए थे। देखरेख, मरम्मत का अभाव और इन बांधों पर बढ़ते अतिक्रमण की वजह से इन बांधों में पानी का संचय कम होने लगा था। इसके चलते यह निर्णय लिया गया है। सभी बांध जल संसाधन विभाग को सौंपने का काम शुरू हो गया है। पूरे दस्तावेज सौंपने के बाद जल संसाधन विभाग इनका रखरखाव, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन करेगा।
अलवर में पंचायती राज विभाग के अधीन आने वाले बांधों की संख्या 103 है। इनको मिलाकर जल संसाधन विभाग के पास अब 125 बांध हो जाएंगे। इन सभी बांधों की मरम्मत जल संसाधन विभाग को मानसून की दस्तक से पहले करानी होगी। पंचायती राज विभाग ने बांधों और तालाबों के दस्तावेज जल संसाधन विभाग को सौंपना शुरू कर दिया है। बुधवार शाम तक 93 बांधों के दस्तावेज सौंपे जा चुके थे। यह काम गुरुवार तक पूरा हो जाएगा।
वहीं जल संसाधन विभाग के पास अब तक अलवर जिले में 300 हेक्टेयर से अधिक क्षमता वाले 22 बांध थे। अब इनकी संख्या में इजाफा हो जाएगा। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जेईएन और एईएन पंचायती राज के बांधों का जायजा ले रहे हैं। जिन-जिन बांधों में मरम्मत की आवश्यकता है, उनका प्लान तैयार किया जा रहा है। अब तक सहारन खुर्द और निबाहेड़ा बांध की मरम्मत की जा चुकी है।
अलवर जिले की औसत बारिश 555 एमएम है। बीते सीजन में यहां 1100 एमएम से ज्यादा बारिश दर्ज हुई थी। तब यहां 22 बांधों में से 10 बांधों में पानी आया था। मई महीने तक केवल चार बांध सिलीसेढ़, जय सागर, मंगलसर और मानसरोवर में पानी शेष है। इसके अलावा शेष 18 बांध रीते हैं, जिनमें पानी नहीं है।
Updated on:
08 May 2025 04:11 pm
Published on:
08 May 2025 04:10 pm
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