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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए पोषण ट्रेकर एप बना परेशानी

साइबर फ्रॉड की आशंका के चलते ओटीपी नहीं बता रहे लाभार्थी

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए पोषण ट्रेकर एप बना परेशानी

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए पोषण ट्रेकर एप बना परेशानी

अलवर. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से शुरू किया गया पोषण ट्रैक एप आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए परेशानी का कारण बन गया है। साइबर फ्रॉड की आंशका के चलते लाभार्थी ओटीपी बताने से हिचक रहे हैं। बार- बार फोन करने के बाद भी ओटीपी नहीं बताते हैं। ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लोगों के घर जाकर ओटीपी की जानकारी लेनी पड़ रही है। जिसमें बहुत समय खराब हो रहा है।


1 लाख 40 हजार ने नहीं बताया ओटीपी

जिले में 3 हजार 400 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इसमें करीब 2 लाख 95 हजार लाभार्थी पंजीकृत हैं। जिसमें महिलाएं व छह साल तक के बच्चे शामिल है। अभी तक करीब 1 लाख 50 हजार लाभार्थियों ने ही ओटीपी की जानकारी दी है। जबकि करीब 1 लाख 40 हजार लाभार्थियों ने ओटीपी की जानकारी नहीं दी है। ऐसे में इन सभी को सुविधाओं से जोडऩा मुश्किल हो रहा है।

साइबर फ्रॉड का सता रहा है डर

आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों के मोबाइल नंबर व आधार कार्ड से एप पर पंजीयन किया जा रहा है। ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जब मोबाइल पर फोन कर ओटीपी की जानकारी लेती है तो लोग साइबर फ्रॉड होने के डर से ओटीपी नहीं बताते हैं। लोगों को ठगी होने का अंदेशा रहता है। कार्यकर्ताओं को ओटीपी लेने के लिए दूसरे नंबर से संपर्क करना होता है जो कि लाभार्थी के पास नहीं होता है। अन्य नंबर से फोन उठाने और ओटीपी बताने में लोगों को ठगी होने का डर लगता है।


आंगनबाडी कार्यकर्ता लतेश शर्मा ने बताया कि ओटीपी लेने में ठगी होने का डर है। ज्यादातर लाभार्थियों ने पुरुषों के नंबर दिए हुए हैं जो कि ओटीपी नहीं बताते हैं। ऐसे में सुबह सवेरे और रात के समय भी उनके घर जाना पड़ रहा है। पूर्व में पोषाहार दिए जाने का तरीका सही था। सरकार को एप की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए।

लाभार्थियों ने नहीं बताया ओटीपी
अलवर महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक जितेन्द्र मीना का कहना है कि जो लाभार्थी पोषाहार व अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। इन सभी को पोषण ट्रैकर एप पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। जिससे इनके मोबाइल पर समय पर मैसेज भेजकर इनको सुविधाओं की जानकारी दी जा सके। लाभार्थियों को सहयोग करना चाहिए। अभी तक 1 लाख 40 हजार के लगभग लाभार्थियों ने ओटीपी नहीं बताया है।