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नीलकंठ में खोला जाएगा खुला संग्रहालय

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की ओर से नीलकंठ महादेव, पारानगर, गढ़राजोर, अलवर में उत्खनित प्रतिमाओं, तक्षित फलकों का खुला संग्रहालय की योजना पर काम शुरु कर दिया गया है।राष्ट्रीय अध्यात्मिक पुनर्जागरण अभियान के संयोजक राम शास्त्री को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय निदेशक डॉ. नीरज कुमार सिन्हा ने लिखित पत्र में इस संबंध में जानकारी दी है।

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अलवर

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Jyoti Sharma

Oct 11, 2022

नीलकंठ में खोला जाएगा खुला संग्रहालय

नीलकंठ में खोला जाएगा खुला संग्रहालय

नीलकंठ में खोला जाएगा खुला संग्रहालय
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने तैयारियां की शुरू

- प्राचीन प्रतिमाओं का अध्ययन कर रहे विभाग के अधिकारी्

अलवर. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की ओर से नीलकंठ महादेव, पारानगर, गढ़राजोर, अलवर में उत्खनित प्रतिमाओं, तक्षित फलकों का खुला संग्रहालय की योजना पर काम शुरु कर दिया गया है।राष्ट्रीय अध्यात्मिक पुनर्जागरण अभियान के संयोजक राम शास्त्री को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय निदेशक डॉ. नीरज कुमार सिन्हा ने लिखित पत्र में इस संबंध में जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार विभाग के जयपुर मंडल के अधिकारी नीलकंठ में उत्खनित प्राचीन प्रतिमाओं का विस्तृत रूप से अध्ययन कर रहे हैं।

नीलकंठ में रखी हुई 23 हजार प्रतिमाएंशास्त्री ने बताया कि नीलकण्ठ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्खनन में बहुसंख्या में बहुमूल्य प्रतिमाओं को प्राप्त किया। जिनकी संख्या करीब 23,000 है। इन सभी को सूची बद्ध करके इनको खुला संग्रहालय में प्रदर्शित करने की योजना है। अलवर गजट, विनय के अलवर अंक, अलवर के इतिहास, अरावली का इतिहास, ज्ञानपीठ के अंक, अलवर रियासत का इतिहास, सरिस्का, पुरातत्व आदि में श्रीनीलकण्ठ के पुरातात्विक वैभव का वर्णन है।

गर्भगृह में स्यामल शिवलिंग है विराजमान

इतिहासकारों के अनुसार छठीं से दसवीं शताब्दी में गूर्जर प्रतिहार राजवंश ने मत्स्य के सरिस्का में नीलकण्ठेश्वर रुद्रनगरी का निर्माण करवाया। रुद्रनगरी में लगभग 365 रुद्र मन्दिरों का निर्माण करवाया। वैदिक सनातन परम्परा के अनुरूप रुद्रनगरी के मन्दिरों में केवल मात्र महारुद्र ***** स्थापित किए गए। मन्दिरों में गणेश, विष्णु, श्रीसूर्य, श्रीदेवी की प्रतिमाएं स्थापित नहीं की गई। मन्दिरों में नन्दी की प्रतिमा भी नहीं थी। पारानगर में प्रधान मन्दिर नीलकण्ठ महादेव के गर्भगृह में स्यामल शिवलिंग है। इसके पीछे की दीवार पर सप्त घोडों पर सवार सूर्य देव का तक्षित फलक है।

रघुनन्दन शर्मा, मोहन बेनीवाल ने बताया कि नीलकंठ के मंडप के अन्दर चारों तरफ रुद्र रुद्राणी की प्रतिमाएं हैं। मुख्य मन्दिर के स्तम्भों पर यक्ष-ंयक्षिणी, किन्नर-ंकिन्नरी, अप्सराएं, विद्याधर, भट्टारक, देवांगनाएं, देव आदि नृत्यरत हैं। श्रीनीलकंठ के उत्खनन में धनाधिपति कुबेर , वराहदेव, श्रीनृसिंहदेव, ऋषभदेव, नृत्यरत, गणाधिपति आदि की चित्रलिखित करती प्रतिमाओं का खजाना मिला। ये प्रतिमाएं खजुराहों की कलाकृति से मिलती है।