अब बारी है विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों के नेताओं की। कहां हैं आप? जिले की जनता आपको ढूंढ रही है। अब तो प्रदेश में लोकसभा चुनाव भी हो गए। हो सकता है पार्टी हाईकमान ने आपकी ड्यूटी उन प्रदेशों में लगा दी हो, जहां अभी चुनाव होने हैं। यदि ऐसा है तो इंतजार कर लेते हैं, आपके फ्री होने का। आपको फ्री होने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। जब फुर्सत मिले तो जनता से मिलिएगा। उनकी परेशानी सुनकर सरकार तक पहुंचाने का दायित्व आपको निभाना ही पड़ेगा। हां, आरोपों की झड़ी मत लगाना, क्योंकि पानी की समस्या के लिए आप भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितनी मौजूदा सरकार और उसमें शामिल जिले के नेता। हाल यह है कि जनता के हाथ में खाली बर्तन हैं और विपक्ष के नेताजी लापता हैं।
सवाल जिला प्रशासन से भी। पिछले दिनों जिला कलक्टर पानी की समस्या जानने के लिए लोगों के बीच पहुंचे। अच्छी बात है। लेकिन समस्याएं सुनने के बाद आपने अब तक क्या किया? यह भी जनता को बता दीजिए। संभवत: आपने सरकारी बैठकों में जलदाय विभाग के अफसरों को समस्या के समाधान के लिए निर्देश दिए होंगे। उनकी पालना हुई या नहीं, यह भी आपको देखना चाहिए। जब तक स्थाई समाधान न हो, तब तक गली-मोहल्लों में टैंकरों से पर्याप्त पानी की सप्लाई ही करवा दीजिए। इतना तो कर ही सकते हैं आप।
… और आखिर में सवाल जनता से। कब तक मन ही मन में नेताओं और अफसरों को कोसते रहेंगे आप? नेताओं से सवाल पूछिए। सबसे पहले उनसे, जो कुछ दिन पहले वोट मांगने आपने घरों तक पहुंचे थे। पूछिए उनसे कि आप हमारी समस्या के निदान के लिए क्या कर रहे हैं? यदि आज आप सवाल नहीं पूछेंगे, तो आने वाले कल में आपके बच्चे भी परेशानी झेलेंगे। समस्या के हिसाब से खुद को मत ढालिए। पर्याप्त पानी आपका हक है। नेताओं को बता दीजिए कि आपको आश्वासन का झुनझुना नहीं, पानी चाहिए।