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जनता को आश्वासन का झुनझुना नहीं, पानी चाहिए

कई कॉलोनियों में पेयजल सप्लाई के इंतजार में लोग रातभर जागते हैं

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  • हरमिंदर लूथरासूर्य नगर में 18 दिन हो गए, नलों से पानी की एक बूंद नहीं टपकी। वार्ड 24 और 29 समेत कई इलाकों में दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। बैंक कॉलोनी में नलों से पानी कब आता है, कब बंद हो जाता है, पता ही नहीं चलता। जवाहर नगर कॉलोनी में पानी की सप्लाई का समय तय नहीं है। कई कॉलोनियों में पेयजल सप्लाई के इंतजार में लोग रातभर जागते हैं… खैर जाने दीजिए, लम्बी फेहरिस्त है। पूरे अलवर शहर का यही हाल है। नेताओं की नेतागिरी और अधिकारियों-कर्मचारियों की नौकरी चल रही है। उनकी मानसिकता बन गई है- क्या फर्क पड़ता है। जनता का क्या है, हर साल पानी को लेकर शोर-शराबा करती है। इस बार कौन सी नई बात हो गई।

सवाल सत्ता और विपक्ष में बैठे नेताओं से। पहले सत्ताधारी दल से पूछते हैं। प्रदेश में जब आपकी सरकार नहीं थी, तब तो आप पानी को लेकर रोज हंगामा करते थे। धरना-प्रदर्शन कर सड़कें जाम कर देते थे। कभी-कभी तो जिला कलक्टर के चैंबर में भी धरने पर बैठ जाते थे। याद है न आपको? अब क्यों चुप हैं? अब तो आपकी सरकार है। केन्द्र में भी और प्रदेश में भी। कुछ तो बोलिए। क्या राजनीति में आपने सिर्फ दूसरों पर आरोप लगाना सीखा है? आज जब जनता पानी की समस्या से त्रस्त है, तो क्यों उनके बीच जाने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे आप? क्यों उनकी समस्या का स्थाई समाधान नहीं करवाते?

अब बारी है विपक्ष में बैठे राजनीतिक दलों के नेताओं की। कहां हैं आप? जिले की जनता आपको ढूंढ रही है। अब तो प्रदेश में लोकसभा चुनाव भी हो गए। हो सकता है पार्टी हाईकमान ने आपकी ड्यूटी उन प्रदेशों में लगा दी हो, जहां अभी चुनाव होने हैं। यदि ऐसा है तो इंतजार कर लेते हैं, आपके फ्री होने का। आपको फ्री होने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। जब फुर्सत मिले तो जनता से मिलिएगा। उनकी परेशानी सुनकर सरकार तक पहुंचाने का दायित्व आपको निभाना ही पड़ेगा। हां, आरोपों की झड़ी मत लगाना, क्योंकि पानी की समस्या के लिए आप भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितनी मौजूदा सरकार और उसमें शामिल जिले के नेता। हाल यह है कि जनता के हाथ में खाली बर्तन हैं और विपक्ष के नेताजी लापता हैं।

सवाल जिला प्रशासन से भी। पिछले दिनों जिला कलक्टर पानी की समस्या जानने के लिए लोगों के बीच पहुंचे। अच्छी बात है। लेकिन समस्याएं सुनने के बाद आपने अब तक क्या किया? यह भी जनता को बता दीजिए। संभवत: आपने सरकारी बैठकों में जलदाय विभाग के अफसरों को समस्या के समाधान के लिए निर्देश दिए होंगे। उनकी पालना हुई या नहीं, यह भी आपको देखना चाहिए। जब तक स्थाई समाधान न हो, तब तक गली-मोहल्लों में टैंकरों से पर्याप्त पानी की सप्लाई ही करवा दीजिए। इतना तो कर ही सकते हैं आप।

… और आखिर में सवाल जनता से। कब तक मन ही मन में नेताओं और अफसरों को कोसते रहेंगे आप? नेताओं से सवाल पूछिए। सबसे पहले उनसे, जो कुछ दिन पहले वोट मांगने आपने घरों तक पहुंचे थे। पूछिए उनसे कि आप हमारी समस्या के निदान के लिए क्या कर रहे हैं? यदि आज आप सवाल नहीं पूछेंगे, तो आने वाले कल में आपके बच्चे भी परेशानी झेलेंगे। समस्या के हिसाब से खुद को मत ढालिए। पर्याप्त पानी आपका हक है। नेताओं को बता दीजिए कि आपको आश्वासन का झुनझुना नहीं, पानी चाहिए।