चुनाव आयोग की गाइड लाइन और सलाखों की बंदिशों के चलते ये बंदी विधानसभा चुनाव में इस बार चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे।
अलवर. जेलों में अपराधी अपने अपराध की सजा भुगत रहे हैं, लेकिन इस अपराध के कारण वे इस विधानसभा चुनाव में वोट का अधिकार भी गंवा चुके हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 में प्रदेश की जेलों में बंद हजारों अपराधी अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। अलवर जिले की बात करें तो अलवर सेंट्रल जेल में औसतन 850 से 900 बंदी रहते हैं। फिलहाल यहां 866 सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदी हैं। इसके अलावा बहरोड़ उप कारागार में 85 और किशनगढ़बास 166 बंदी हैं। चुनाव आयोग की गाइड लाइन और सलाखों की बंदिशों के चलते ये बंदी विधानसभा चुनाव में इस बार चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे।
हर तरफ चुनावी तैयारियों का शोर : विधानसभा चुनाव-2023 की तैयारियां परवान पर हैं। राजनीतिक दलों के प्रत्याशी वोटरों को रिझाने में लगे हैं। निर्वाचन विभाग भी ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने के प्रयास में लगा है। मतदाताओं से मतदान के लिए लगातार अपील भी की जा रही है।
अलवर, बहरोड़ और किशनगढ़बास कारागृहों में 1100 से ज्यादा बंदी
अलवर सेंट्रल जेल तथा बहरोड़ व किशनगढ़बास उप जेल में फिलहाल 1 हजार 111 सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदी बंद हैं। इनमें से अलवर जिले के अलावा राजस्थान के अन्य जिलों सहित हरियाणा, दिल्ली आदि के बंदी भी शामिल हैं, लेकिन इनमें करीब 90 प्रतिशत बंदी अलवर जिले के ही हैं। जिनका परिवार अलवर में ही रहता है। इनके राशनकार्ड व वोटर आईडी कार्ड सभी अलवर जिले के पते पर ही बने हुए हैं।
वोट डालने का अधिकार नहीं
अलवर जेल में औसतन 850 से 900 बंदी रहते हैं। वहीं, बहरोड़ और किशनगढ़बास उप जेलों में भी 200 से 250 बंदियों को रखा जाता है। चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार जेल में बंद सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं है। वे चुनाव में वोट नहीं डाल सकते। - प्रदीप लखावत,
अधीक्षक, सेंट्रल जेल, अलवर।