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किसानों की बदौलत यूआईटी की मंदी में भर रही झोली

किसानों से जमीन लेकर शालीमार व विज्ञान नगर आवासीय योजना लेकर आए,  

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किसानों की बदौलत यूआईटी की मंदी में भर रही झोली

किसानों की बदौलत यूआईटी की मंदी में भर रही झोली

अलवर.

किसानों की जमीन लेकर शालीमार व विज्ञान नगर आवासीय कॉलोनी बसाने वाली यूआईटी की मंदी में झोली भरने लगी है। मौके पर सडक़, नाली व बिजली तक नहीं है और खरीददारों को विकसित आवासीय योजना बताकर भूखण्ड बेचे जा रहे हैं। किसानों को कागजों में भी 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी है। लेकिन, मौके पर सडक़ भी नहीं बनी है। इसके बावजूद भी शालीमार व विज्ञान नगर आवासीय योजना के भूखण्डों के अच्छे भाव मिलने से यूआईटी के खजाने में खूब पैसा आने लगा है। दो बार में करोड़ों रुपए के भूखण्ड बेचे जा चुके हैं।

बिना विकसित भूखण्ड से आ रहे पैसे

नियमानुसार तो यूआईटी को खुद के स्तर पर बजट का इंतजाम करके कॉलोनी को पहले विकसित करने चाहिए था। सडक़, नाली, बिजली व पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का मतलब ही विकसित होता है। लेकिन, इन दोनों योजनाओं में बिजली का एक पोल तक नहीं लगा है। सडक़ ही नहीं है तो नाली की बात नहीं हो सकती। पानी व सीवरेज लाइन डालने की तैयारी तक नहीं है। फिर भी यहां यूआईटी की उम्मीद से दोगुना महंगे दामों में भूखण्ड बिक चुके हैं।

अब तीसरी बार 17 को बेचेंगे भूखण्ड

शालीमार व विज्ञान नगर आवासीय योजनाओं में दो बार भूखण्डों का बेचान कर हो चुका है। अब 17 फरवरी को तीसरी बार भूखण्डों को खुली नीलामी में बेचान करने की तैयारी है। पिछली दो बोलियों में रिकॉर्ड भाव मिले हैं। जिसके कारण यूआईटी के खजाने में कई करोड़ रुपया आ चुका है। जबकि अभी कच्ची सडक़ें भी पूरी नहीं डली हैं।

मकान बनने लग गए

जिन लोगों ने भूखण्ड खरीद लिए अब उन्होंने मकान बनाने शुरू कर दिए हैं। पानी की टैंकरों से मंगाना पड़ रहा है। लाइट तक नहीं है। जबकि खरीददारों को विकसित भूमि में भूखण्डों को बेचान किया गया है। किसानों ने भी अपनी खेती की जमीन 25 प्रतिशत विकसित भूमि के बदले दी है। अब किसानों को भूखण्ड तो मिल गए लेकिन, अविकसित योजना में मिले हैं।

पेवरीकरण व विद्युत लाइन जल्दी
अभी दोनों योजनाओं का विकास जारी है। कच्ची सडक़ों का पेवरीकरण भी जल्दी करने की तैयारी है। इसके अलावा विद्युत लाइन के मुख्य पोल भी लगाए जाएंगे। बड़ी योजनाओं को विकसित करने में समय लगता है।

एके धींगड़ा, एक्सईएन, यूआईटी अलवर