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रेलवे इस तरह कर रहा है दिव्यांगों का अपमान,अधिकारियों को भी नहीं है ध्यान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद विकलांग शब्द को बदलकर दिव्यांग कर दिया, लेकिन रेलवे में अभी तक विकलांग शब्द काम में लिया जा रहा है।

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अलवर

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Himanshu Sharma

Feb 06, 2018

Railway is still using viklang word for disables

अलवर. सरकारी दस्तावेजों में विकलांग की जगह दिव्यांग हो चुका है, लेकिन रेलवे में अब भी बदलाव नहीं हुआ है। ट्रेनों के यात्री डिब्बों पर विकलांग शब्द अभी भी लिखा हुआ दिख जाता है। उसके अलावा स्टेशन पर जगह जगह विकलांग लिखा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद विकलांग शब्द को बदलकर दिव्यांग कर दिया, लेकिन रेलवे में अभी तक विकलांग शब्द काम में लिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो साल पहले एक अपील की थी। उसमें विकलांगों का सम्बोधन दिव्यांग बोलकर करने के लिए कहा गया। उसके बाद सभी सरकारी कार्यालयों में विकलांग की जगह, दिव्यांग करने के आदेश जारी किए गए। इस संबंध में रेलवे में भी आदेश जारी किए गए। रेलवे ने नेत्रहीन को दृष्टिबाधित, मूक बधिर को वाक एवं श्रवण विकार और विकलांग शब्द को दिव्यांग में बदलने के आदेश दिए। लेकिन यह आदेश कागजों तक सिमट कर रह गया है। अलवर जंक्शन पर प्रतिदिन करीब 70 से अधिक ट्रेनों का ठहराव होता है। अलवर से दिल्ली व अलवर से जयपुर व अन्य रूटों पर जाने वाली ज्यादातर ट्रेनों में गार्ड के पास लगने वाले दिव्यांग कोच पर विकलांग लिखा हुआ है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर भी विभिन्न जगह पर विकलांग लिखा हुआ है। रेलवे के उच्च अधिकारियों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है।

दिव्यांगों को छूट

रेलवे में दिव्यांगों के लिए वातायन कुर्सीयान एवं वातानुकूलित 3 टियर में भी 75 प्रतिशत रियायत और वातानुकूलित प्रथम श्रेणी तथा वातानुकूलित 2 टियर में 50 प्रतिशत रियायत है। इसके अलावा साधारण यात्री गाडिय़ों में उससे कुल किराया का एक चौथाई किराया लिया जाता है। ये रियायत उसके साथ चलने वाले सहयोगी को भी दी जाती है।

सभी स्टेशन अधीक्षक को विकलांग की जगह दिव्यांग लिखवाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ट्रेनों में भी विकलांग की जगह दिव्यांग लिखने का काम चल रहा है।
तरुण जैन, जनसम्पर्क अधिकारी, उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर