
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से अरावली पर्वतमाला की की गई व्याख्या के विरोध में अरावली बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की आमसभा कंपनी बाग स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित हुई। संयोजक वीरेंद्र सिंह क्रांतिकारी ने कहा कि अरावली बचाने की लड़ाई अब जन-जन तक जाएगी। वक्ताओं ने 100 मीटर ऊंचाई के पैमाने को गलत बताया। आम सभा के बाद शहीद स्मारक से नंगली सर्किल तक रैली निकाली गई।
इसके बाद अतिरिक्त जिला कलक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अरावली के अस्तित्व को संरक्षित करने की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है। यह एक पर्वतमाला नहीं है, वरन जनता का प्राणदाता भी है।
इसके साथ सभ्यता और संस्कृति जुड़ी हुई है। हमारे लिए भोजन एवं प्राणवायु का प्र और परोक्ष संसाधन जुटाने में मदद करती रही है। यह अमूल्य है। पर्यावरणीय संरक्षण को सीमित करने की एक नीतिगत रणनीति के रूप में विनाशकारी प्रस्ताव सामने आने से आज अरावली पर बहुत बड़ा संकट आन है। इसके अनुसार केवल 100 मीटर से अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों क अरावली माना जाए। यह विनाशकारी प्रस्ताव है।
भू वैज्ञानिक दृष्टि से अर को समझने के लिए ऊँचाई नहीं, बल्कि चट्टानों की संरचना, आयु और निरं को आधार बनाया जाता है। अरावली की पहचान क्वार्टजाइट, फाइलाइट, शिस्ट ग्रेनाइट जैसी प्राचीन चट्टानों से होती है, जो कई स्थानों पर 50 मीटर, कह मीटर और कहीं सतह के समांतर ही दिखाई देती हैं। इसलिए अरावली के में 100 मीटर की ऊँचाई का पैमाना ही बेबुनियाद है। पारिस्थितिकी के स्त यह तर्क और भी अधिक खतरनाक हो जाता है। इस मौके पर जस्सू फौजी, अमित जाटव, सुरेन्द्र कुमार, हजारी सिंह आदि मौजूद रहे।
Published on:
29 Dec 2025 04:13 pm
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