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आखिर कौन है यह… जैसे ही निकलता है ‘रवि’, शरीर पर चमक उठती है सोने जैसी ‘छवि’…पढऩे से चलेगा पता

जल, थल और नभ...। प्रकृति सहित सभी सजीवों के लिए ये तीनों ही आवश्यक है। प्रकृति के जितने गहरे रंग व भिन्न-भिन्न नजारे धरा पर हैं, वैसे ही नाना प्रकार के जीवजंतु भी न केवल देखने को मिलते हंै, अपितु मानव को अपनी ओर आकर्षित भी करते हैं। इनमें नभचर यानि पक्षियों की बात करें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। दुनियाभर में कलरव करते इनमें से दुर्लभ पक्षी इंडियन गोल्डन, यूरेशियन ओरियल एक है, जिस पर धूप पड़ते ही सोने जैसी चमक बिखेर रहा है। इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर ने भी सरिस्का में डेरा जमाया हुआ है।

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दुर्लभ पक्षी यूरेशियन गोल्डन ओरियल हजारों किलोमीटर की यात्रा करके सरिस्का पहुंच रहे है

अलवर. दुर्लभ पक्षी यूरेशियन गोल्डन ओरियल हजारों किलोमीटर की यात्रा करके सरिस्का पहुंच रहे है। ये पक्षी यूरोपियन देशों से आए है। ये यहां अपनी प्रजाति के पक्षियों से मेल-मुलाकात करते है। अच्छा जीवन बिताने के बाद अक्टूबर में अपने देश चले जाते है। इनके आने की खबर पाकर अपने देश के हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले इंडियन गोल्डन ओरियल भी सरिस्का पहुंचने लगे है। इनके लिए यूरोपियन पक्षी एक मेहमान की तरह है, जिनकी अच्छी आवभगत की जाती है। गर्मियों के मौसम में खूब आनंद उठाने के बाद सर्दियों से पहले ये अपने-अपने क्षेत्रों में चले जाते है। इसके अलावा इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर पक्षी भी सरिस्का में पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। इन पक्षियों की आवाज कानों को मधुर धुन देती है। यूरोपियन गोल्डन ओरियल कभी कभार मिलने अपने परिवार से हजारों किमी की यात्रा कर अलवर जिले के सरिस्का में पहुंचते हैं।

लुभा रहे पर्यटकों को
इसी तरह सरिस्का में इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर भी पर्यटकों को लुभा रहा है। यह पक्षी म्यांमार, केरल, कर्नाटक आदि क्षेत्रों से चलकर यहां पहुंचा है। ये पक्षी गोरैया के आकार का है। इसकी संख्या में तेजी से कम हो रही है। इसकी लंबी पूंछ होती है जो सफेद रंग लिए हुए है। काली चोंच होती है। सिर पर काला मुकुट होता है। आंखें नीली चक्राकार होती है। यह भी कीड़े आदि खाकर पेट भरते है। यह 7.5 से 8.7 इंच लंबे होते है। सरिस्का के एक गाइड ने बताया कि इस बार मौसम ने साथ दिया। इसलिए ये पक्षी जल्दी आ गए। यूरेशियन पक्षी कभी कभार ही यहां आते है। इस बार आवक अच्छी हुई है। यह पर्यटकों को आनंदित कर रहे हैं। इनके वीडियो बनाए जा रहे हैं।

पाया जाता है भारत के उप महाद्वीपों में
यूरेशियन गोल्डन ओरियल भारत में अपनी जैसी प्रजाति इंडियन गोल्डन ओरियल से मिलने आते हैं। ओरियल पूरे पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी यूरोप में हैं। इंडियन गोल्डन ओरियल भारत के उपमहाद्विपों में पाया जाता है। गोल्डन ओरियल काफी सुंदर है। इस पर जैसे ही धूप पड़ती है तो यह चमकता है। आंखों की पट्टी छोटी, रंग ज्यादा गहरा पीला व शरीर पर धारियां होती हैं। सर्दियों में यह दक्षिण भारत की ओर, पतझड़, गर्मी में सदाबहार जंगलों की ओर रुख करता है। कीड़े व जामुन इसकी पसंद हैं।

मुख्य वन संरक्षक अलवर आरएन मीणा का कहना है कि यूरेशियन गोल्डन ओरियल व इंडियन गोल्डन ओरियल बहुत सुंदर पक्षी है। इनकी कई खूबियां हैं। इस समय सरिस्का में यह पर्यटकों को काफी भा रहा है। इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर पक्षी भी यहां पहुंच रहे हैं।