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सरिस्का में एक ही वंश के बाघ बढ़े, नस्ल में नहीं आया बदलाव

अलवर. टाइगर रिजर्व सरिस्का में बाघों का कुनबा तो बढ़ रहा है, लेकिन इनब्रिडिंग की समस्या के चलते उनकी नस्ल में सुधार नहीं हो पा रहा है। इससे नस्ल कमजोर होने के साथ ही बाघिनें बांझपन की समस्या से पूरी तरह छुटकारा नहीं पा सकी है।

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अलवर

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Prem Pathak

May 22, 2023

सरिस्का में एक ही वंश के बाघ बढ़े, नस्ल में नहीं आया बदलाव

सरिस्का में एक ही वंश के बाघ बढ़े, नस्ल में नहीं आया बदलाव

अलवर. टाइगर रिजर्व सरिस्का में बाघों का कुनबा तो बढ़ रहा है, लेकिन इनब्रिडिंग की समस्या के चलते उनकी नस्ल में सुधार नहीं हो पा रहा है। इससे नस्ल कमजोर होने के साथ ही बाघिनें बांझपन की समस्या से पूरी तरह छुटकारा नहीं पा सकी है। रणथंभौर से आई चार बाघिनें सरिस्का में एक भी शावक को जन्म नहीं दे सकी।वर्ष 2005 में सरिस्का के बाघ विहिन होने के बाद रणथंभौर से बाघों का पुनर्वास कराया गया। इससे सरिस्का बाघों से फिर आबाद हुआ और संख्या 28 तक पहुंची, लेकिन इनब्रिडिंग की समस्या से बाघों को छुटकारा नहीं मिल सका।

सरिस्का की ये बाघिनें जो नहीं बन पाई मां

सरिस्का के बाघों में इनब्रिडिंग की समस्या है। कारण है कि यहां के सभी बाघ रणथंभौर से आए हैं और एक ही वंश के हैं, इस कारण सरिस्का के बाघों में अनुवांशिक बीमारी के साथ ही बाघिनों में बांझपन की आशंका बढ़ रही है। सरिस्का में बाघिन एसटी-3, एसटी-5, एसटी-7 व एसटी-8 अब तक मां नहीं बन सकी। इनमें बाघिन एसटी-5 की मौत भी हो चुकी है।

इनब्रिडिंग के ये हैं नुकसान

बाघों में इनब्रिडिंग के नुकसान हैं। एक ही वंश के बाघ होने से जन्म लेने वाले शावकों में अनुवांशिकी बीमारी की आशंका रहती है। वहीं शावक कमजोर होने से नस्ल में भी सुधार नहीं हो पाता। वहीं एक ही वंश के ब्रीडिंग होने से बांझपन की समस्या भी बढ़ती है। बाघों में इम्युनिटी कम होने से साथ ही बाघों में शावकों को पालन- पोषण की क्षमता कम हुई है। ये तथ्य विशेषज्ञों की रिसर्च में सामने आए हैं।

कोरिडोर खत्म होने से बढ़ी समस्या

पूर्व में सरिस्का से आंधी हाेते हुए करौली तक कोरिडोर होता था। इस कोरिडोर में बाघ आ-जा सकते थे। इससे बाघों के बीच इनब्रिडिंग की समस्या कम होती थी, लेकिन अब अतिक्रमण एवं कारणों के चलते कोरिडोर खत्म हो गए और बाघ अपने ही टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सिमट कर रह गए।

दूसरे टाइगर रिजर्व से आएं बाघ

बाघों के बीच इनब्रिडिंग की समस्या कम करने के लिए दूसरे टाइगर रिजर्व से भी बाघों का पुनर्वास कराया जाना जरूरी है। प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में अभी रणथंभौर से ही बाघों का पुनर्वास कराया जा रहा है। जबकि सरिस्का, रणथंभौर सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में दूसरे प्रदशों के टाइगर रिजर्व से बाघों को लाना चाहिए और प्रदेश के बाघों को अन्य प्रदेशों के टाइगर रिजर्व में भेजना चाहिए। इस प्रक्रिया से बाघों में इनब्रिडिंग की समस्या कम हो सकेगी और उनकी नस्ल में सुधार होगा।

अन्य प्रदेशों से बाघ लाने की जरूरत

सरिस्का में सभी बाघ रणथंभौर के एक ही वंश के हैं। इस कारण उनमें इनब्रिडिंग की समस्या रहती है। बाघों की नस्ल सुधार के लिए एनटीसीए को अन्य प्रदेशों से बाघों के पुनर्वास की अनुमति देनी चाहिए।

अनिल जैन

पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक अलवर